आरक्षण के अंतिम प्रकाशन पर रोक, गांवों में बदलने लगे चुनावी समीकरण
चंदौली। उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन की ओर से जारी प्रथम आरक्षण सूची पर सवाल खड़े करते हुए अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दी है। इसकी सूचना मिलते ही ग्रामीण अंचल में खलबली मच गई। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ग्राम पंचायतों के आरक्षण में व्यापक स्तर पर बदलाव की उम्मीद है। इसको लेकर चुनाव की तैयारी में जुटे संभावित उम्मीदवारों और उनके समर्थकों में मायूसी छा गई है। वहीं गांवों में चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं।
डीपीआरओ ब्रम्हचारी दुबे ने बताया की शासन ने इस बार आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए चक्रानुक्रम प्रणाली लागू की थी। इसके अनुसार ही ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत, जिला पंचायत सदस्य और ब्लाक प्रमुख पद के लिए आरक्षण तैयार करने का निर्देश था। अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम ने आरक्षण सूची तैयार कर पहली सूची जारी की। जिले में ग्राम प्रधान के 365 पद अनुसूचित, पिछड़ा और 121 पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए। इसी तरह अन्य पदों पर भी आरक्षण लागू हुआ।
आरक्षण के खिलाफ खूब आपत्तियां आईं। खास तौर से ग्राम प्रधान पद के आरक्षण के खिलाफ शिकायतों की भरमार रही। हालांकि अधिकारी मानक के अनुरूप आरक्षण तैयार करने का दावा कर रहे थे। लेकिन कोर्ट के उनके दावों को नजरअंदाज कर दिया। इससे आरक्षण में व्यापक स्तर पर बदलाव होने के आसार हैं।
ऐसे में ग्राम पंचायतों में चुनाव की तैयारी में जुटे प्रत्याशी उहापोह में है, जबकि मनमाफिक आरक्षण न होने से मायूस लोगों में फिर से उम्मीद जग गई है। पंचायत चुनाव टलने की आशंका को देखते हुए चुनावी पार्टियां भी रद की जा रहीं हैं। संभावित उम्मीदवारों को आशंका है कि यदि आरक्षण बदला अथवा चुनाव टला तो उनकी अब तक की मेहनत बेकार जाएगी।
डीपीआरओ ब्रम्हचारी दुबे ने बताया की आरक्षण का अंतिम प्रकाशन फिलहाल रोक दिया गया है। शासन के निर्देश के अनुसार प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगा।
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