प्रभारी मंत्री व डीएम-एसपी ने शहीद के शव को दिया कंधा, राजकीय सम्मान के साथ मणिकर्णिका घाट हुआ अंतिम संस्कार 

प्रभारी मंत्री व डीएम-एसपी ने शहीद के शव को दिया कंधा, राजकीय सम्मान के साथ मणिकर्णिका घाट हुआ अंतिम संस्कार
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चंदौली। नक्सली हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान धर्मदेव कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार को ठेकहां गांव पहुंचा। शवयात्रा में लगभग 15 हजार लोग शामिल हुए। वहीं शव गांव पहुंचने पर जिले के प्रभारी मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल समेत सत्तारूढ़ व विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ही आला अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। शहीद के परिजन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने पर ही अंतिम संस्कार की मांग पर अड़ गए। हालांकि प्रभारी मंत्री ने समझा-बुझाकर मनाया। तीन घंटे की मान-मनौव्वल के बाद परिजन मानें। प्रभारी मंत्री व आला अधिकारियों ने शहीद के शव को कंधा दिया। राजकीय सम्मान के साथ मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

सीआरपीएफ कोबरा यूनिट के जवान शहीद का शव लेकर गांव पहुंचे थे। सीआरपीएफ के डीआईजी मनीष सच्चर, 95वें बटालियन के कमांडेंट अनिल कुमार, डीसी महेंद्र मिश्रा, चकिया विधायक शारदा प्रसाद, जिलाधिकारी संजीव सिंह, पुलिस अधीक्षक अमित कुमार समेत अन्य अधिकारी व जनप्रतिनिधि शहीद के घर जमे रहे। जवानों ने गार्ड आफ आनर व सलामी दी। लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर शीश नवाए। पत्नी मीना देवी शहीद का शव देखकर बेसुध हो गईं। परिजनों के करूण क्रंदन से माहौल गमगीन हो गया। वहां उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम थीं। प्रभारी मंत्री ने परिजनों को सरकार की ओर दी जाने वाली 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चेक दिया। बोले, शहीद के नाम पर सड़क बनवाई जाएगी। सीआरपीएफ की ओर से परिजनों को एक करोड़ 51 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। 

तीन घंटे तक चला मान-मनौव्वल 
शहीद का शव गांव पहुंचते ही परिजन रक्षा मंत्री और सीएम को गांव में बुलाने की मांग को लेकर अड़ गए। उनका कहना रहा कि जब तक दोनों राजनेता गांव नहीं आएंगे तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। इससे उहापोह की स्थिति पैदा हो गई। प्रभारी मंत्री, जिलाधिकारी, एसपी समेत अधिकारी परिजनों को मनाने में जुटे रहे। प्रभारी मंत्री ने उन्हें साथ ले जाकर रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने का भरोसा दिलाया। करीब तीन घंटे तक मान-मनौव्वल के बाद परिजन मानें। शहीद के पिता रामआसरे गुप्ता, भाई आनंद गुप्ता और धनंजय की सहमति के बाद शव यात्रा वाराणसी के लिए रवाना हुई।

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