चंदौली में बनेगी अंतरराष्ट्रीय स्तर की मछली मंडी, मत्स्य पालन को मिलेगा बढ़ावा
चंदौली। मुख्यालय स्थित नवीन कृषि मंडी परिसर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की मछली मंडी बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। दस हजार वर्ग मीटर में निर्मित होने वाली मंडी में तमाम सुविधाएं रहेंगी। कमिश्नर की अनुमति के बाद मत्स विभाग भारत सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। सहमति के बाद निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। इससे कृषि प्रधान जनपद में मछली मंडी बनने से मत्स्यपालन को बढ़ावा मिलेगा। इससे काश्तकारों की आय भी बढ़ेगी।
मछली मंडी के निर्माण की जिम्मेदारी कार्यदाई संस्था मंडी परिषद को ही सौंपी जाएगी। इस पर लगभग 60 से 70 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मत्स्यपालकों के लिए यहां सभी सुविधाएं मौजूद रहेंगी। सरकार ने पूर्वांचल को मछली उत्पादन का हब बनाने के उद्देश्य से चंदौली में मछली मंडी बनाने की योजना बनाई है।
वाई-फाई से लैस होगा परिसर
मछली मंडी परिसर वाई-फाई की सुविधा से लैस रहेगा। यहां मल्टीलेबल पार्किंग की भी व्यवस्था होगी। कोलकाता, चेन्नई समेत गैर प्रांतों से मछली लेकर आने वाले कारोबारियों के लिए वाहनों के अलग पार्किंग होगी। जबकि यहां से माल लेकर बाहर जाने वाले वाहनों के लिए दूसरी पार्किंग बनाई जाएगी। मंडी से निकलने वाले गंदे पानी के शोधन के लिए भी व्यवस्था रहेगी।
इसके अलावा टाइल्स, ड्रेनेज सिस्टम भी बेहतर रहेगा। ताकि किसी तरह की असुविधा न होने पाए। चंदौली में मछली मंडी बनाने के पीछे दो प्रमुख वजहे हैं। पहला यह कि मुगलसराय जंक्शन से माल देश के किसी भी हिस्से में ट्रेन के जरिए आसानी से भेजा जा सकता है। इसके अलावा वाराणसी के राजातालाब में अंतरराष्ट्रीय स्तर का कार्गो भी है। इससे सड़क मार्ग से मछलियों को भेजने में सहूलियत होगी।
मछली पालन को लेकर उदासीन हैं किसान
सहायक निदेशक मत्स्य विश्वनाथ सिंह ने बताया कि मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार तमाम योजनाएं संचालित कर रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना इसमें प्रमुख है। इसके तहत मत्स्यपालकों को 40 से 60 फीसद सब्सिडी पर मत्स्यपालकों को 11 लाख रुपये तक लोन की व्यवस्था है लेकिन लोगों का धान व गेहूं की परंपरागत खेती से मोह नहीं भंग हो रहा है। इसके चलते मत्स्यपालन को लेकर उदासीन बने हुए हैं।
चंदौली में अंतरराष्ट्रीय मछली मंडी बनने से मत्स्यपालन को लेकर रूझान बढ़ेगा। लोग तालाब खोदवाकर मछली पालन करेंगे तो उनकी आय तो बढ़ेगी। साथ ही भू-जल स्तर में सुधार होगा। विभाग की ओर से मत्स्यपालन के लिए ईच्छुक लोगों को बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। तालाब के वर्गीकरण, मछली के बच्चे पालने समेत अन्य विधियों की जानकारी दी जाएगी।
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