कोरोना के मद्देनजर कचहरी में बढ़ी सतर्कता, गवाहों को पेश कराने को जिला जज से लेनी होगी अनुमति
चंदौली। एक बार फिर सरकारी कामकाज पर कोरोना का असर पड़ने लगा है। न्याय विभाग इसको लेकर पूरी एहतियात बरतने की तैयारी में है। उच्च न्यायालय ने ई-कोर्ट के संचालन का आदेश दिया है। इसके तहत मुकदमों की सुनवाई के बाद न्यायिक अधिकारी व अधिवक्ता कचहरी परिसर छोड़ देंगे। वहीं गवाहों की पेशी पर भी रोक लगा दी गई है। यदि किसी मामले में गवाहों की पेशी बहुत आवश्यक हुई, तो जिला जज की अनुमति लेकर उन्हें कोर्ट रूम में पेश कराया जा सकता है।
देश व प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में सतर्कता पर जोर है। जनपद व सत्र न्यायाधीश विनय कुमार द्विवेदी ने अपने स्तर से आदेश जारी किया है। उन्होंने पत्र जारी कर कहा है कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ई-कोर्ट का संचालन किया जाएगा। इस दौरान सामान्य तौर पर मुकदमों में गवाहों के बयान नहीं लिए जाएंगे। यदि किसी मामले में बयान लेना बहुत आवश्यक प्रतीत हुआ तो इसके लिए अनुमति लेनी होगी। न्यायिक अधिकारी व अधिवक्ता मुकदमे की सुनवाई के बाद कचहरी छोड़ देंगे। विचाराधीन बंदियों से संबंधित न्यायिक व रिमांड संबंधी कार्य वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किए जाएंगे।
सभी पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि मुकदमों की सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में कम से कम लोग उपस्थित रहें। न्यायालय खुलने से पहले प्रतिदिन सफाई व सैनिटाइजेशन कराया जाए। उन्होंने सीएमओ को न्यायालय के गेट पर थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था के लिए निर्देशित किया है। साथ ही अधिवक्ताओं व वादकारियों के सहयोग के लिए जिला प्रशासन से जनपद न्यायालय की आफिसियल वेबसाइट पर एक हेल्पलाइन नंबर अपलोड कराने को कहा है। न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं को पोशाक में भी सहूलियत दी गई है। न्यायिक अधिकारियों के लिए कोट व गाउन पहनना अनिवार्य नहीं होगा। अधिवक्ता सफेद शर्ट और हल्के रंग के ट्राउजर पहन सकते हैं। उन्होंने बताया कि उपरोक्त नियम अग्रिम आदेश तक प्रभावी रहेंगे।
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