चंदौली : रबी फसलों की बोआई के सीजन में डीएपी नदारद, 22 हजार टन की डिमांड, 260 टन उपलब्धता 
 

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चंदौली। धान के कटोरे में रबी फसलों की बोआई में डीएपी की किल्लत अब बाधा बन गई है। जिले में रबी सीजन में डीएपी की डिमांड लगभग 22 हजार टन है। इसके सापेक्ष सहकारी समितियों में मौजूदा समय में मात्र 260 टन खाद की उपलब्धता है। निजी विक्रेताओं के यहां लगभग एक हजार टन डीएपी है, लेकिन वे किसानों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं। 

अधिकारियों की मानें, तो जिले में खाद की आपूर्ति होने में अभी चार-पांच दिन का समय लग सकता है। इससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। गेहूं, दलहनी व तिलहनी फसलों की बोआई में विलंब होने से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। 

जिले में इस साल 1.25 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसमें लगभग 1.10 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है। वहीं शेष क्षेत्रफल में किसान चना, मसूर, मटर, जौ, सरसो, राई आदि की खेती करते हैं। सीजन में 22 हजार टन डीएपी व 45 हजार टन यूरिया की खपत की संभावना है। जिले में खाद के लिए मारामारी मची है। किसानों की समस्या केंद्रीय मंत्री और सांसद डाक्टर महेंद्रनाथ पांडेय तक पहुंच चुकी है। 

चार-पांच दिनों में रैक पहुंचने की उम्मीद 

जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे ने बताया कि खाद की डिमांड भेजी गई है। आपूर्ति होने में चार-पांच दिन का समय लगेगा। इसके बाद जिले की 300 से अधिक सहकारी समितियों व निजी दकानों पर खाद की उपलब्धता हो जाएगी और किसानों को परेशानी नहीं होगी। 

उन्होंने किसानों से जैविक खेती अपनाने की अपील की। बोले, रासायनिक उर्वरक के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है। किसान जैविक खाद का प्रयोग करें। इससे मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ेगी। वहीं भरपूर उत्पादन मिलने के साथ कृषि लागत कम होने से अधिक मुनाफा होगा। 

विपक्षी दल बनाने लगे मुद्दा 

जिले में खाद की किल्लत का मुद्दा गरमाने लगा है। किसानों के साथ ही विपक्षी दलों के नेता मुखर हो गए हैं। पूर्व विधायक व सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू ने खाद की किल्लत के लिए शासन-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी जिले के सरेसर रैक प्वाइंट पर खाद उतरने ही नहीं देना चाहते। यहां की खाद वाराणसी मंगवाई जा रही है। खाद को जिले में ले आने में अधिक परिवहन व्यय होगा। किसानों को खाद मिलने में समय भी लगेगा।

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