सैयदराजा विधानसभा : स्वतंत्रता आंदोलन की गवाह रही क्रांतिकारियों की धरती, सुशील व डब्लू के फिर आमने-सामने होने से गरमाई सियासत
चंदौली। सैयदराजा विधानसभा सदर व धानापुर से अलग होकर 2012 में अस्तित्व में आई। स्वतंत्रता आंदोलन की गवाह रही क्रांतिकारियों की धरती पर भाजपा के टिकट से एक बार फिर वर्तमान विधायक सुशील सिंह व सपा के मनोज कुमार सिंह डब्लू आमने-सामने होंगे। इससे सियासी फिजा गरमा गई है। बसपा व कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के रणबाकुरों ने बिट्रिश हुकूमत के दांत खट्टे कर दिए थे। यहां शहीद स्मारक व रेलवे स्टेशन आज भी आजादी के लिए लड़ी गई लड़ाई की गवाही दे रहे हैं। क्रांतिकारी धरती इस बार किसे ताज से नवाजेगी, यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा।
पहले चंदौली विधानसभा का थी हिस्सा
सैयदराजा विधानसभा 2012 से पहले चंदौली विधानसभा का हिस्सा रही। कांग्रेस के कद्दावर नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी यहां से विधायक हुआ करते थे। भाजपा के शिवपूजन राम ने 1991 व 96 में दो बार जीत हासिल की। 2007 में शारदा प्रसाद ने जीत हासिल की थी। 2012 के विस चुनाव में यहां प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से बृजेश सिंह ने अहमदाबाद जेल में रहते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी। निर्दल प्रत्याशी रहे मनोज कुमार सिंह डब्ल्यू ने उन्हें पटखनी दी थी। 2017 में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला रहा। भाजपा से सुशील सिंह तो बसपा से श्यामनारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह के साथ ही सपा से मनोज सिंह चुनावी मैदान में थे। विनीत ने रांची जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा। कड़े मुकाबले में सुशील सिंह ने जीत हासिल कर अपने चाचा की हार का बदला लिया। सुशील को 78,869 व विनीत को 64,375 वोट मिले थे।
राजपूत मतदाता बनेंगे निर्णायक
सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाताओं की बाहुल्यता है। यहां ब्राह्मण, यादव, अनुसूचित, वैश्य मतदाता अच्छी-खासी तादाद में हैं। राजभर मतदाताओं की भूमिका भी अहम साबित होगी। यहां मतदाताओं की कुल संख्या तीन लाख 31 हजार 666 मतदाता हैं।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।