कटनी में किसान के बेटे ने बनाई प्रदूषण कम करने की मशीन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सराहना की

कटनी में किसान के बेटे ने बनाई प्रदूषण कम करने की मशीन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सराहना कीकटनी, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। कहते है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। वह जहां भी होती है, अपनी रौशनी बिखेर ही देती है। ऐसा ही कुछ हुआ है मध्य प्रदेश के कटनी जिले के मझगवां में रहने वाले सुनील कुशवाहा के साथ, जिन्होंने जुगाड़ से वायु प्रदूषण को कम करने वाली मशीन तैयार करने में सफलता पाई है, जिसकी चर्चा हर तरफ है।

कटनी जिले की बड़वारा तहसील के गांव मझगवां में रहने वाले किसान के बेटे सुनील कुशवाहा ने वायु प्रदूषण को कम करने वाली मशीन तैयार की है। सुनील पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर है। इस मशीन के जरिए वायु प्रदूषण को 95 फीसदी तक कम किया जा सकता है। खास बात यह है कि इससे ओजोन परत को भी किसी तरह का नुकसान नही होगा । सुनील की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी सराहना करते हुए पत्र लिखकर मशीन का डिजाइन के साथ सीपीसीबी को विस्तृत रिपोर्ट साझा करने को कहा है।

सुनील कुशवाहा का दावा है कि इस मशीन में प्रकाश संशलेषण की तकनीक का उपयोग किया गया है जिसमे दूषित हवा को एक नेचुरल हवा में बदला जाता है । इस मशीन के जरिए अनेक गंभीर बीमारियों से भी बचा जा सकता है । मशीन के माध्यम से वायु प्रदूषण को 90 से 95 प्रतिशत कम किया जा सकता है। यह मशीन कुछ ही घंटों में पांच एकड़ क्षेत्र के जमीनी प्रदूषण को साफ कर देती है। मशीन में लगाए गए नौ तरह के फिल्टर से मशीन अंदर और बाहर दोनों तरह का प्रदूषण खत्म करती है । मशीन में लगे फिल्टर पूरी तरह से प्रकाश संष्लेषण की तकनीक पर आधारित हैं । जिस प्रकार से पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और शुद्ध ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं, उसी प्रकार यह फिल्टर बारीक से बारीक और महीन से महीन कणों को भी फिल्टर करके खराब हवा को एक नेचुरल हवा में बदलता है।

सुनील ने जो मशीन तैयार की है उसमें ऑनलाइन नेटवकिर्ंग का सिस्टम लगा हुआ है , जिसके द्वारा इस मशीन को कही से भी चालू और बंद किया जाता है। यह मशीन मोबाइल और कम्प्यूटर के द्वारा भी चल सकेगी। इस मशीन में एक चिमनी लगाई गई है। चिमनी में लकड़ी, कोयला, प्लास्टिक जो भी जलाते हैं, उसके धुँए को मोटर के जरिए मशीन पूरा प्रदूषण खींचकर मशीन में ले जाती है । इसमे एक वाल्व लगा हुआ है। इसके एस वन सिस्टम से अंदर का और एस टू सिस्टम चालू करने से बाहर का प्रदूषण खत्म होता है । एस वन और एस टू दोनों चालू करते हैं तो अंदर और बाहर दोनो तरह के प्रदूषण को खींच कर के मशीन में ले जाया जाता है । इस मशीन में लगे फिल्टर से सबसे पहले कार्बन के बड़े कणों को रोका जाता है, इसके बाद कार्बन के छोटे कणों को रोका जाता है । प्रदूषित वायु में मिले जहरीली गैस, चुंबकीय कण व पीएम 2.5 के कण इतने महीन और बारिक होते हैं कि शरीर के फिल्टर सिस्टम को भी पार कर जाते हैं, जिससे अनेक गंभीर बीमारियां होती है । मशीन में उपयोग किये गए फिल्टर प्रकाश संशलेषण की तकनीक पर आधारित है जिनसे वायु शुद्ध होती है । इसके बाद एक पाइप के माध्यम से शुद्ध हवा बाहर निकल जाती है इसी मशीन के नीचे एक नल लगा हुआ है जिसके द्वारा फिल्टर में जमे हुए कार्बन के कण को निकाल लिया जाता है। मशीन में प्रदूषण का स्तर जांचने के लिए एयर क्वालिटी मीटर एवं वोल्टेज मीटर लगाया गया है । मशीन पर नजर रखने सीसीटीवी कैमरा , कंप्यूटर स्क्रीन सिस्टम , सोलर एनर्जी सिस्टम भी लगाया जा सकता है ।

सुनील ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गांव में करने के बाद हायर सेकेंडरी एजुकेशन कटनी के एक निजी स्कूल से प्राप्त किया । इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई जबलपुर से पूरी की है । सुनील के दिमाग में एयर पॉल्यूशन मशीन बनाने का आईडिया आने की कहानी भी दिलचस्प है ।

सुनील ने बताया, एक बार कटनी से जबलपुर ट्रेन से जा रहा था। डिब्बे में भीड़ होने के कारण सीढ़ी के ऊपर दरवाजे पर बैठकर यात्रा करना पड़ी, मैं जिस डिब्बे में बैठा था वह इंजन से दूसरे नंबर पर था । जिसके कारण ट्रेन के इंजन से निकला हुआ धुआं मुंह में आकर लगा,जिससे हमें कुछ मिनटों तक सांस लेने में समस्या हुई। फिर हमने सोचा कि यह तो धुआं बहुत ही खतरनाक है इससे बहुत सारी समस्याएं हो सकती हैं और इसे रोकना चाहिए । फिर हमने इस एयर पोलूशन को गूगल में सर्च किया जिसके कारण दिल्ली में बहुत ही खतरनाक समस्या देखने को मिली, जैसे 40 से 50 फीसदी बच्चों के फेफड़े खराब हो जाना और बच्चे जन्म लेते ही मर जाना । प्रदूषण की खतरनाक समस्या को देखते हुए और लोगों को बचाने के लिए एक उचित कदम उठाने का मन में विचार और उसी के बाद इस मशीन को बनाया। इस मशीन के माध्यम से प्रदूषित शहरों को साफ किया जा सकता है, जिसके कारण वहां पर रहने वाले लोगों को सांस की गंभीर बीमारियों को भी रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे निकलने वाला कार्बन का उपयोग भी कलर पेंट व अंगूठी बनाने में किया जा सकता है।

--आईएएनएस

एसएनपी/आरजेएस

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