अच्छी खबर :  IIT-BHU में ‘कालाजार’ की वैक्सीन का सफल परीक्षण, संक्रमण की प्रगति रोकेगी दवा

भारत समेत एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमरीका जैसे देशों में गंभीर रूप लेती कालाजार बीमारी के खिलाफ IIT-BHU एक आशा की किरण के रूप में उभरा है। आईआईटी (बीएचयू) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक प्रोफेसर विकास कुमार दूबे, प्रमुख अन्वेषक डॉ सुनीता यादव, नेशनल पोस्टडॉक्टोरल फेलो और बीएचयू आईएमएस के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर श्याम सुंदर के सहयोग से किये गए एक अध्ययन में कालाजार के खिलाफ वैक्सीन के लिए सफल परीक्षण किया गया है।
 

वाराणसी। भारत समेत एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमरीका जैसे देशों में गंभीर रूप लेती कालाजार बीमारी के खिलाफ IIT-BHU एक आशा की किरण के रूप में उभरा है। आईआईटी (बीएचयू) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक प्रोफेसर विकास कुमार दूबे, प्रमुख अन्वेषक डॉ सुनीता यादव, नेशनल पोस्टडॉक्टोरल फेलो और बीएचयू आईएमएस के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर श्याम सुंदर के सहयोग से किये गए एक अध्ययन में कालाजार के खिलाफ वैक्सीन के लिए सफल परीक्षण किया गया है। 

यह वैक्सीन कालाजर बीमारी का प्रमुख कारक लीशमैनिया परजीवी के खिलाफ संक्रमण की प्रगति को रोक देता है। इस बीमारी के खिलाफ मनुष्य के लिए विश्वबाजार में अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। बीमारी का उपचार मुख्य रूप से कुछ मुट्ठी भर दवाओं पर निर्भर करता है, जो कि डब्ल्यूएचओ के पूर्ण उन्मूलन कार्यक्रम के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

इस शोध की जानकारी देते हुए प्रोफेसर विकास कुमार दूबे ने बताया कि टीकाकरण किसी भी संक्रामक रोगों से लड़ने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। वैक्सीन अणु हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को रोगों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करता है। यह हमारे शरीर में कई प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करता है जो एंटीबॉडी, साइटोकिन्स और अन्य सक्रिय अणुओं का उत्पादन करते हैं, जो सामूहिक रूप से काम करते हैं और हमे संक्रमण से बचाते हैं और दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। लीशमैनियासिस के पूर्ण उन्मूलन के लिए एक टीका बेहद कारगर होगा।

उन्होंने बताया कि इस टीके की रोगनिरोधी क्षमता का मूल्यांकन चूहों के मॉडल में प्रीक्लिनिकल अध्ययनों में किया गया था, जिसमें संक्रमित चूहों की तुलना में टीकाकृत संक्रमित चूहों के यकृत और प्लीहा अंगों में परजीवी भार में उल्लेखनीय कमी देखी गई थी। टीका लगाए गए चूहों में परजीवी के बोझ को साफ करने से वैक्सीन के सफलता की संभावना प्रबल हो जाती है। यह एक प्रकार का रक्षा तंत्र है जो टीकाकरण के बाद हमारे शरीर में होता है और रोग की प्रगति को रोकने में सहायक होता है। यह शोध हाल ही में प्रतिष्ठित पत्रिका ’’सेलुलर इम्यूनोलॉजी’’  में प्रकाशित हुआ है।

यह अध्ययन लीशमैनिया संक्रमण के खिलाफ टीका अणुओं के मूल्यांकन के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। भविष्य में  इसे रोगजनक के खिलाफ एक वैक्सीन के दावेदार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, इस टीके की कार्रवाई के तरीके को बेहतर ढंग से समझने के लिए इस दिशा में अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। टीम की अगली योजना अन्य परीक्षणों में अपनी वैक्सीन क्षमता का और मूल्यांकन करने की है।