BHU : पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
संवाददाता- मनोज मिश्रा
वाराणसी। पं. दीनदयाल उपाध्याय के पुण्यतिथि पर दीनदयाल उपाध्याय पीठ, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. एचएन त्रिपाठी हाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘‘आत्मनिर्भर भारत एवं तीसरा विकल्प (पं. दीनदयाल उपाध्याय से दत्तोपंत ठेगड़ी)’’ पर आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. कौशल किशोर मिश्र, संकाय प्रमुख एवं प्रभारी, पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ, सामाजिक विज्ञान संकाय, बीएचयू ने किया।
उन्होंने कहा कि हिन्द स्वराज का मतलब स्वयं के उपर शासन करना। मुख्य वक्ता, प्रो. मनोज दीक्षित, पूर्व कुलपति, डॉ. राम मनोहर लोहिया, अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या ने अपने वकतव्य में कहा कि भारत राष्ट्र के निर्माता महान विभूतियों में स्व. पं. दीनदयाल उपाध्याय का नाम एक अमर चिरस्मरणीय महापुरुष के रूप में लिया जाता है और उनकी दूर दृष्टि के अंत्योदय के माध्यम से समग्र राष्ट्र ही नहीं समग्र विश्व का सम्यक एवं पूर्ण विकास हो सकता है।
कार्यक्रम के इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. शैलेश मिश्रा, विभागाध्यक्ष, राजनीति शास्त्र विभाग, डॉ. संपूर्णनन्द संस्कृत विश्वविद्यालय ने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहली विशेषता यह है कि वह सम्पूर्ण जीवन का, सम्पूर्ण सृष्टी का विचार करती है, उसका दृष्टिकोण एकात्मवादी है। टुकड़े-टुकड़े में विचार करना विशेषज्ञ की दृष्टि से ठीक हो सकता है, लेकिन व्यवहारी दृष्टि से उपयुक्त नहीं है। हम यह स्वीकार करते हैं कि जीवन में अनेकता अर्थात विविधता है। लेकिन उसके मूल में निहित एकता निकालने का हमने सदैव प्रयत्न किया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनिल प्रताप सिंह, पूर्व एमडी विद्युत कारपोरेशन, उत्तर प्रदेश ने इस दौरान कहा कि स्वतंत्रता के बाद पहले दशक में में बड़े पैमाने पर औद्योगिकरण हुआ। मशीनीकरण के दौर में बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि के दबाव में पीछे रही थी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशा पाण्डेय, पीडीएफ, पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक सोनकर, अस्सिटेन्ट प्रोफेसर ने किया। इस कार्यक्रम में डॉ. अरुण चौबे, संत लाल भारती, आर्शिवाद दूबे, विशाल मिश्रा, पतंजलि पाण्डेय, विवेक उपाध्याय, शुभम तिवारी, शुभम राय इत्यादि शोध छात्र उपस्थित रहे।