महाकुम्भ इस देश को जानने का स्वर्णिम अवसर है : कुमार विश्वास

 




--राम कथा और संतों की संगति आत्मा की इम्युनिटी बढ़ाती है--अपने अपने राम के द्वितीय दिन उमड़ी भारी भीड़

प्रयागराज, 08 जनवरी (हि.स.)। नन्दी सेवा संस्थान द्वारा प्रयाग की धरा पर आयोजित अपने-अपने राम के दूसरे दिन बुधवार की शाम को प्रख्यात कवि एवं श्री राम कथावाचक कुमार विश्वास ने प्रभु श्रीराम के जीवन, भरत के स्नेह, माता सुमित्रा के ममत्व का तथ्यों और तर्कों के साथ वैज्ञानिक विश्लेषण एवं वर्णन किया। साथ ही महाकुम्भ के परम वैभव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक दीपक के चैतन्यता के पूर्व भगवान राम के सम्मुख दीपक जलाने का कुम्भ इस देश को जानने का स्वर्णिम अवसर है।

कैबिनेट मंत्री नन्दी गोपाल गुप्ता नन्दी और पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता द्वारा आयोजित अपने-अपने राम के द्वितीय दिन बड़ी संख्या में लोग कुमार विश्वास के वक्तव्यों को सुनने के लिए पहुंचे थे कि प्रभु श्री राम का चरित्र लोगों को सिखाता है कि मनुष्य से मनुष्य कैसे जुड़ता है।

कुमार विश्वास ने कहा कि आस्था में बहुत ताकत है। 13 जनवरी से प्रारम्भ होने वाला महाकुम्भ मनुष्य का गुणधर्म कुम्भ बताएगा। कुमार विश्वास ने कहा कि कोरोना के दौरान जब लोग मर रहे थे तब दवाओं के साथ ही तमाम तरह की आयुर्वेदिक दवाओं, मसालों और काढ़ों ने लोगों को बचाया। लोगों की इम्युनिटी को बढ़ाया। इसी तरह राम कथा और संतों की संगति आत्मा की इम्युनिटी बढ़ाती है। प्रभु श्री राम का चरित्र लोगों को सिखाता है कि मनुष्य से मनुष्य कैसे जुड़ता है। देश को प्रभुता सम्पन्न राम ने कैसे किया, यह रामकथा बताती है।

--टेलीवीजन पर साजिशन परोसी जा रही नीचता

कुमार विश्वास ने कहा कि पूरी सोची समझी साजिश के साथ योजनाबद्ध तरीके से भारतीय संस्कृति और सभ्यता को ध्वस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं टेलीविजन पर आ रहे विभिन्न सीरियल। जिसमें कुछ सीरियल ऐसे हैं जिसमें दिखाया जाता है कि कैसे एक ही पुरूष के पीछे परिवार की ही दो बहनें पागल हो जाती हैं। उसके लिए साजिश करती हैं। इस तरह की कहानियों को महिलाएं और बच्चियां देखती हैं।

उन्होंने कहा शादी में करोड़ों का खर्च जरूरी नहीं सांस्कृतिक विधान जरूरी है। आज के समय में रिश्ते इसीलिए टूट रहे हैं क्योंकि सनातन परम्परा का पालन नहीं किया जा रहा है। पहले के रिश्ते लम्बे इसलिए चलते थे और चल रहे हैं क्योंकि उन रिश्तों के बंधन में करोड़ों के साधन का नहीं बल्कि परम्पराओं का मोल था। कुमार विश्वास ने भरत के धर्म और बड़े भ्राता के प्रति स्नेह का वैज्ञानिक विश्लेषण किया।

--प्रभु श्री राम ने राजा से नहीं वंचितों से संधि की कुमार विश्वास ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्री राम किसी एक जाति, धर्म, या सम्प्रदाय के नहीं बल्कि सबके राम हैं। वनवास के दौरान उन्होंने किसी राजा महाराजा से संधि नहीं की। संधि की तो वंचितों से, पिछड़ों से, वनवासियों से। वनवास के दौरान श्रीराम हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर भिलनी सबरी से मिलने गए। क्योंकि उन्हें समाज को यह संदेश देना था कि कोई उंचा नीचा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हमारे सनातन संस्कृति में जाति की लड़ाई कभी थी ही नहीं, यह तो बाद में लोगों ने अपने-अपने स्वार्थ के लिए लोगों को जातियों में बांटा।

सोशल मीडिया पर प्रयागराज के ही रहने वाले 42 वर्षीय एक व्यक्ति के सवाल पर कुमार विश्वास ने चर्चा की। जिसमें पूछा गया था कि मेरे परिवार में कोई किसी की नहीं सुन रहा, क्या करें ? कुमार विश्वास ने कहा कि परिवार का मुखिया सूर्य की तरह होता है, जो प्रतिदिन पहले तपता है तब धरती पर रोशनी बिखेरता है। विष को अपने अंदर लेकर अमृत देने की कला ही शिव तत्व है। आज परिवार में विखंडन का कारण है कि धर्म, संस्कृति, सभ्यता नहीं, बल्कि साधन और भोग विलासिता महत्वपूर्ण हो गया है।

--महत्वाकांक्षा अनन्त रखो, लेकिन लालच शून्य रखोयुवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि अगर आपको आगे बढ़ना है, सफल होना है तो महत्वाकांक्षा अनन्त रखो, लेकिन लालच शून्य रखो। तब कहीं जाकर आप कुछ हासिल कर सकते हैं। युवाओं से अपील करते हुए उन्होंने कहा अपनी इच्छाओं को बांधे रखो। वरना शौक गुनाहों में बदल जाएंगे। कुमार विश्वास ने कहा कि जीवन रूपी गाड़ी प्रभु श्री राम के नाम पर चल रही है। उन्हीं का सहारा है। उन्हीं के द्वारा बेड़ा पार भी होना है। इस भाव को कबीर के भजन के माध्यम से व्यक्त करते हुए कुमार विश्वास ने आज के सत्र का समापन किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र