डिजिटल कक्षाओं में संवेदनशील और अर्थपूर्ण फीडबैक तंत्र अपनाने की जरूरत : डॉ. राजा

 


वाराणसी, 19 दिसम्बर(हि. स.)। वाराणसी में अन्तर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केन्द्र (आईयूसीटीई) में द डिजिटल पेडागॉजी: एजुकेटर्स फॉर टुमॉरो विषय पर सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के पांचवें दिन सहायक आचार्य डॉ. राजा पाठक ने कहा कि सीइंग द अनसीन, द आर्ट ऑफ डिजिटल ऑब्ज़र्वेशन एंड फीडबैक आज का विषय है। सटीक अवलोकन और समयबद्ध फीडबैक से सीखने की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होता है।शिक्षकों को डिजिटल कक्षाओं में संवेदनशील और अर्थपूर्ण फीडबैक तंत्र अपनाने की जरूरत है।

दूसरे सत्र में सहायक आचार्य डॉ. दीप्ति गुप्ता ने कहा कि सतत और बहुआयामी मूल्यांकन से शिक्षार्थियों के विकास को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। डिजिटल टूल्स के माध्यम से विकासात्मक आकलन को सुदृढ़ करना चाहिए।

तीसरे सत्र में डॉ. राजा पाठक ने सिग्नल्स ऑफ अंडरस्टैंडिंग: क्राफ्टिंग मीनिंगफुल असेसमेंट्स विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने ऑनलाइन आकलन को केवल परीक्षा न मानकर सीखने की समझ के संकेत के रूप में देखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

चौथे सत्र के संयुक्त सत्र में डॉ. राजा पाठक एवं डॉ. दीप्ति गुप्ता ने संयुक्त रूप से डेटा विद हार्ट: ब्लेंडिंग इनसाइट, एविडेंस, एंड एसईएल इन असेसमेंट विषय पर विस्तार से चर्चा की। इस सत्र में उन्होंने आकलन प्रक्रिया में डेटा-आधारित साक्ष्यों के साथ सामाजिक-भावनात्मक अधिगम (एसईएल) के समन्वय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि मानवीय दृष्टिकोण से किया गया डेटा विश्लेषण शिक्षार्थियों की वास्तविक आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने में सहायक होता है। इसी क्रम में उन्होंने शिक्षकों से आकलन को अधिक संवेदनशील, संतुलित और शिक्षार्थी-केंद्रित बनाने का आह्वान किया।

बता दें कि कार्यक्रम में श्रीलंका, बेलारूस, कम्बोडिया, इक्वाडोर, घाना, कजाकिस्तान, केन्या, मोरक्को, मोज़ाम्बिक, म्यांमार, नामीबिया, नेपाल, रूस, रवांडा, तंजानिया, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, वियतनाम, इथियोपिया, ताजिकिस्तान, ज़ाम्बिया, ज़िम्बाब्वे, कोट द’ईवोआर, और ट्रिनिडाड और टोबैगो 24 देशों के 40 शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र