जन्म देने वाली नहीं बल्कि समाज को दिशा देने वाली है नारी

 




सीतापुर, 31 दिसम्बर (हि.स.)। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के तत्वावधान में आनंदी देवी सरस्वती शिशु वाटिका में बुधवार को सप्तशक्ति संगम की बैठक हुई। कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम संयोजिका हिमांशी रस्तोगी ने अतिथि परिचय कराया। कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रिया शुक्ला ने की। उन्होंने कहा कि नारी केवल जीवन को जन्म देने वाली नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाली भी है। यही शक्ति जब सात रूपों में प्रकट होती है तो उसे सप्तशक्ति कहा जाता है। सप्तशक्ति हमें श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति, क्षमा, कीर्ति का संदेश देती है।

कार्यक्रम के अगले क्रम में विद्यालय की बहनों द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। मुुख्य वक्ता अंकिता मिश्रा ने कुटुम्ब प्रबोधन विषय पर चर्चा की। मुख्य अतिथि पूर्णिमा श्रीवास्तव ने पर्यावरण के बारे में कहा कि पर्यावरण एक देश या राष्ट्र का नहीं है, सम्पूर्ण धरती का विषय है। हमें अपने दैनिक जीवन से सम्बंधित छोटे छोटे दायित्वों का निर्वहन करते हुए पर्यावरण को बचाना चाहिए। इसके उपरांत विद्यालय की आचार्या बहन प्रियांशी मिश्रा द्वारा प्रश्नोत्तरी कराई गई। जिसमें कई माताओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम में आई बहनों ने विभिन्न महान् विभूतियों लक्ष्मीबाई, डा आनंदी बाई, गोपाल राव जोशी आदि की रुप सज्जा भी की।

विद्यालय की आचार्या मीना सिंह द्वारा भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि एक महिला पूर्ण चक्र है। जिसके भीतर सृजन, पोषण और परिवर्तन करने शक्ति है। इसके बाद विशिष्ट माताओं में श्रीमती करुणा शर्मा का सम्मान किया गया। अनुभव कथन के क्रम में सोनी सिंह व राधा शुक्ला ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया । कार्यक्रम में लगभग 50 माताओं व बहनों की संख्या रही। प्रियंका सिंह ने अध्यक्षीय उद्‌बोधन दिया। आकांक्षा सिंह द्वारा संकल्प दिलाया गया। कार्यक्रम का संचालन आचार्या स्वर्णिमा ठाकुर ने किया। कार्यक्रम में पर्णिका मिश्रा, रानी अवस्थी, चाहत मिश्रा, अंशिका सिंह, गीतिका बाजपेयी आदि उपस्थित रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / Mahesh Sharma