कानपुर में सजा लड्डू बाजार, आकर्षित कर रहे हैं सर्दी में लाभकारी पारंपरिक उत्पाद

 




कानपुर, 12 दिसंबर (हि.स.)। लड्डू बाज़ार उत्सव के माध्यम से मानस उद्योग सहित कई स्थानीय महिला उद्यमी और संस्थान जुड़े हैं, जो मौसम के अनुरूप ऐसे पारंपरिक लड्डू तैयार कर रहे हैं, जो सामान्य बाज़ार में आसानी से उपलब्ध नहीं होते। घरों में बनने वाली पारंपरिक मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी होती हैं, जबकि खुले बाज़ार में कई बार पुराने उत्पाद दोबारा गर्म कर बेचे जाते हैं, जो स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं होते। यह बातें शुक्रवार को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कही।

कलेक्ट्रेट प्रांगण में आयोजित लड्डू बाज़ार उत्सव का शुभारंभ जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने किया। सर्दियों के मौसम में सेहत से जुड़ी पारंपरिक मिठास को समर्पित इस आयोजन में सोंठ, अलसी–मेथी, कच्ची हल्दी और मिलेट्स से बने लड्डू विशेष आकर्षण के रूप में सामने आए।

उन्होने कहा कि भारत की सर्वश्रेष्ठ और स्वास्थ्यवर्धक रेसिपी बड़े होटलों में नहीं, बल्कि घरों की रसोई में विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि जनपद की अनेक महिलाएं छोटे स्तर पर घरेलू उद्योग संचालित कर रही हैं, जो शुद्ध, ताज़ा और पौष्टिक उत्पाद तैयार कर रही हैं। ऐसे आयोजनों से इन प्रयासों को पहचान मिलने के साथ-साथ उन्हें बाज़ार से भी जोड़ा जा रहा है।

जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि कलेक्ट्रेट परिसर में इस प्रकार का आयोजन नियमित रूप से किया जाएगा, जिससे स्थानीय उत्पादों को स्थायी मंच मिल सके और आमजन को शुद्ध, ताज़ा एवं स्वास्थ्यकारी खाद्य सामग्री उपलब्ध हो। उत्सव में सोंठ, अलसी–मेथी और कच्ची हल्दी के लड्डू, शुगर-फ्री गजक तथा मिलेट्स आधारित लड्डू और स्नैक्स प्रदर्शित किए गए। आयोजन में स्थानीय महिला उद्यमियों और लघु उद्योगों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली।

साकेत नगर की रहने वाली चिंकी अग्रवाल ने बताया कि वे पिछले चार वर्षों से घर पर तैयार किए गए पारंपरिक लड्डुओं का निर्माण कर रही हैं, जिनमें बेसन, तिल, अलसी, बाजरा और सोंठ जैसे घटक शामिल हैं। मंधना क्षेत्र से जुड़े माधव फूड इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधि हेमंत तिवारी ने बताया कि उनके स्टार्टअप के माध्यम से मिलेट्स आधारित लड्डू, कच्ची हल्दी के लड्डू और बिना गुड़-चीनी के तिल के लड्डू तैयार किए जा रहे हैं।

डॉ. ज्योति चौहान ने बताया कि एमएसएमई से जुड़े प्रशिक्षण के बाद वे मिलेट्स आधारित उत्पादों का निर्माण कर रही हैं, जिनमें ज्वार, बाजरा, रागी और अलसी के लड्डू के साथ रागी नमकीन और अलसी से बना बुकनू शामिल है, जिसकी वर्तमान में अच्छी मांग है।

चौबेपुर के बिरैचामऊ क्षेत्र की अन्नपूर्णा महिला स्वयं सहायता समूह ने भी अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। समूह राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़कर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। वर्ष 2019 में “मानस ग्राम” ब्रांड की स्थापना के बाद समूह द्वारा दलहन, तिलहन, अनाज, अचार, मुरब्बे, मसाले और दलिया सहित अनेक जैविक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें प्रमाणिक परीक्षण और विपणन सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप