प्रयागराज पुस्तक मेला में स्त्री विमर्श और प्रेम साहित्य की ओर युवाओं का बढ़ता रुझान
प्रयागराज, 20 दिसम्बर (हि.स.)। कटरा स्थित लक्ष्मी टॉकीज चौराहे के समीप आयोजित ग्यारह दिवसीय प्रयागराज पुस्तक मेले के तीसरे दिन युवाओं में स्त्री विमर्श और प्रेम साहित्य से जुड़ी पुस्तकों के प्रति विशेष उत्साह देखने को मिला। विभिन्न स्टॉलों पर उपलब्ध पुस्तकों की बिक्री और पाठकों से हुई बातचीत से स्पष्ट हुआ कि युवा वर्ग गंभीर साहित्य और भावनात्मक लेखन की ओर तेजी से आकर्षित हो रहा है।
कटरा स्थित द पाम्स रिसोर्ट रॉयल गार्डन (लक्ष्मी टॉकीज के सामने) में लगे इस पुस्तक मेले में साहित्य भंडार प्रयागराज के स्टॉल पर स्त्री विमर्श से सम्बंधित पुस्तकों की विशेष मांग देखी गई। यहां प्रमुख लेखकों और लेखिकाओं की वे रचनाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें स्त्री अस्मिता, संघर्ष और सामाजिक विमर्श के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है। इनमें मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती, प्रभा खेतान, नासिरा शर्मा और महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियाँ शामिल हैं। महादेवी वर्मा की ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’, मन्नू भंडारी की ‘महाभोज’ और ‘एक इंच मुस्कान’, कृष्णा सोबती की ‘ज़िंदगीनामा’ और ‘मित्रो मरजानी’, प्रभा खेतान की ‘तारा’ और ‘पिया’, तथा नासिरा शर्मा की ‘पारिजात’ और ‘कुयाजान’ जैसी पुस्तकें पाठकों को विशेष रूप से आकर्षित कर रही हैं।
स्टॉल प्रतिनिधि ज्ञान प्रकाश मिश्र ने बताया कि प्रयागराज के स्थानीय लेखकों की पुस्तकों की भी अच्छी मांग है। इसके साथ ही हिंदी सिनेमा के सौ वर्षों की यात्रा को समेटे प्रहलाद अग्रवाल की चार खंडों में प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदी सिनेमाः आदि से अनंत 3’ सिनेमा प्रेमियों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जो 25 प्रतिशत छूट के साथ उपलब्ध है।
दिव्यांश पब्लिकेशन के स्टॉल पर प्रेम साहित्य की भरपूर रेंज देखने को मिल रही है। यहां विनोद कुमार शुक्ल की ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ युवाओं को विशेष रूप से पसंद आ रही है। इसके अलावा परितोष त्रिपाठी की ‘घनघोर इश्क’, ‘चाय सी मोहब्बत’, ‘मन पतंग दिल डोर’, अनाम सक्सेना की ‘एक अनाम पत्ती का स्मारक’ और विजयश्री तनवीर की ‘अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार’ जैसी कृतियाँ भी पाठकों का ध्यान खींच रही हैं। स्टॉल प्रतिनिधि हर्षित के अनुसार, ओशो की ‘मैं कौन हूं’ और ‘गीता दर्शन’ के साथ ही मुंशी प्रेमचंद की ‘गोदान’ सबसे अधिक मांग में बनी हुई हैं।
पुस्तक मेले के आयोजक मनोज सिंह चंदेल और सह संयोजक मनीष गर्ग ने संयुक्त रूप से बताया कि “विजन 2047 : विकसित भारत - विकसित प्रदेश” की थीम पर आधारित इस पुस्तक मेले में पाठकों का उत्साह लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि पुस्तकों के साथ-साथ मेले में एक सांस्कृतिक मंच भी स्थापित किया गया है, जहां प्रतिदिन विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। शनिवार को जन चेतना मंच द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘राजा का बाजा’ को दर्शकों और पुस्तक प्रेमियों ने खूब सराहा।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र