माहवारी पर पुरुषों के संवेदनशील होने पर ही घर में मिलेगा स्वस्थ माहौल: स्वाती सिंह

 


लखनऊ, 24 फरवरी (हि.स.)। आज की युवा पीढ़ी माहवारी जैसे विषय के प्रति बेहद जागरूक है। बच्चियां इस बारे में अपने सहेलियों से लेकर माताओं से खुलकर बात करती हैं, उन्हें पता है कि ये कोई बीमारी या शर्म का विषय नहीं है। यह सकारात्मक बदलाव है, लेकिन इससे आगे बढ़ने की जरूरत है और बच्चियां जब तक पिता और भाई से खुलकर बात नहीं करेंगी, तब तक यह बदलाव अधूरा है। पुरुषों के संवेदनशील होने पर ही महिलाओं को घर में स्वस्थ माहौल मिल सकेगा। ये बातें पूर्व मंत्री स्वाती सिंह ने कही। वे शनिवार को श्री गुरुनानक गर्ल्स डिग्री कालेज की छात्राओं को माहवारी विषय पर स्वाती फाउंडेशन द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बोल रही थीं।

इस मुद्दे पर छात्राओं के एक-एक सवालों का उन्होंने जवाब भी दिया और माहवारी के संबंध में सभी आशंकाओं का समाधान किया। इस अवसर पर सेनेटरी पैड का भी वितरण किया गया। कालेज में इस कार्यक्रम में तीन सौ से अधिक छात्राएं शामिल थीं। इस अवसर पर स्वाती सिंह ने कहा कि अभी भी माहवारी के दौरान किचन में जाने पर रोक और आचार को हाथ नहीं लगाने जैसी तमाम बातें घर में कही जाती हैं।

उन्होंने कहा कि मेडिकल सांइस के इस युग में बच्चियों को इस बारे में घर में खुलकर न सिर्फ बात करनी होगी, बल्कि घर के पुरुषों को भी समझाना होगा। पुरुषों का इस विषय में संवेदनशील होना बेहद जरूरी है, तभी घर की महिलाओं को एक स्वस्थ माहौल मिल सकेगा। किसी भी बदलाव के लिए पहले खुद को बदलने की जरूरत है, जिसकी शुरुआत पहले खुद से फिर घर से होनी चाहिए। स्वाती फाउंडेशन की शुरुआत ही इस मकसद के साथ की गई है और बिना आपके इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता।

उन्होंने बताया कि सेनेटरी पैड चार से पांच घंटे में बदलना चाहिए। इचिंग होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। पीरियड्स के दौरान फेस पर पिंपल्स होने पर उन्होंने बताया कि सबका मासिक धर्म चक्र अलग-अलग होता है। पीरियड्स होना जरूरी है। नहीं होने पर समस्या हो सकती है। पिम्पल्स हार्मोनल चेंज होने की वजह से हो सकते हैं। अगर समस्या ज्यादा है तो डॉक्टर को दिखा सकते हैं। इस दौरान प्रधानाचार्य डॉ. सुरभि जी. गर्ग, डॉ. रंजीत कौर, डॉ. प्राची भटनागर, स्वाती शुक्ला, डॉ. श्वेता शुक्ला, डॉ. दीप्ति राय आदि महिला शिक्षक शामिल रहीं।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/सियाराम