भूमाफिया, घुसपैठियों और अराजकता के खिलाफ अकबरपुर में चल रहा योगी का बुलडोजर
-सपा पोषित भूमाफिया ने अपने फायदे के लिए अकबरनगर में अवैध बस्ती में बसा दिए थे बांग्लादेशी घुसपैठिये
लखनऊ, 13 जून (हि.स.)। लखनऊ के अकबरनगर में कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने के साथ ही भूमाफिया और घुसपैठियों से क्षेत्र को खाली कराने के लिए योगी सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई गुरुवार को भी जारी रही। योगी सरकार का बुलडोजर एक बार फिर गरजा और बिना किसी हंगामे के उसने अपने काम को अंजाम दिया। योगी सरकार यहां भूमाफिया, घुसपैठियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों द्वारा कब्जा कर बनाए गए अवैध मकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों का ध्वस्तीकरण कर इस क्षेत्र को इको टूरिज्म का हब बनाने जा रही है। लखनऊ के चिड़ियाघर को भी इसी क्षेत्र में पुनर्स्थापित किए जाने की योजना है। यही नहीं, योगी सरकार ने यहां विस्थापित परिवारों का भी ध्यान रखते हुए अब तक 1800 से ज्यादा निवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत भवनों का भी आवंटन कर दिया है।
मुख्यमंत्री सीएम योगी ने उठाया क्षेत्र के पुनरोद्धार का बीड़ा
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि सपा सरकार और भूमाफिया की सांठगांठ के जरिए कुकरैल नदी के अस्तित्व को खतरे में डालकर यहां व्यापक पैमाने पर अवैध निर्माण किया गया था। अपने फायदे के लिए सपा पोषित भूमाफिया ने कुकरैल नदी पर घुसपैठियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को अवैध तरीके से बसा दिया था, जिसके चलते यह पूरा इलाका अपराध और जरायम का प्रमुख अड्डा बन गया। यहां से प्रदेश में अराजकता और सुरक्षा से खिलवाड़ करने के लिए साजिश रची जाती थी। यही नहीं, नियम कायदों को ताक पर रखकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। हालांकि, सीएम योगी ने इस क्षेत्र के पुनरोद्धार का बीड़ा उठाया और लोकसभा चुनावों से पहले ही इस पूरे इलाके को खाली करवा कर कुकरैल नदी को पुनर्जीवित कर इस क्षेत्र को इको टूरिज्म का हब बनाने का निर्णय लिया और उस पर तेजी से कार्यवाही की। सीएम योगी के निर्देश पर कुकरैल नदी व बंधे के बीच बसाई गई अकबरनगर की अवैध कॉलोनी को ध्वस्त किया जा रहा है। इसके लिए योगी सरकार ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुकरैल नदी के अस्तित्व को वापस लौटाने के लिए लड़ाई लड़ी। इस दौरान कोर्ट ने भी योगी सरकार के निर्णय को सही माना। साथ ही अकबरनगर में अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण कार्रवाई को जारी रखने का आदेश दिया।
कुकरैल में विकसित होगी देश की पहली नाइट सफारी, चिड़ियाघर भी होगा शिफ्ट
कुकरैल नदी की जमीन रहीमनगर, अकबरनगर और भीखमपुर से अवैध निर्माण की अराजकता के अंत के बाद अब योगी सरकार कुकरैल वन क्षेत्र को ईको टूरिज्म का हब बनाने जा रही है। यहां देश की पहली नाइट सफारी विकसित होने जा रही है। नाइट सफारी के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली से अनुमति प्राप्त हो गई है। यह परियोजना 855.07 एकड़ क्षेत्र में विकसित की जाएगी। इसका डीपीआर तैयार किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत ही लखनऊ का चिड़ियाघर भी इसी क्षेत्र में शिफ्ट किया जाएगा। वर्तमान में पूरे विश्व में मात्र चार नाइट सफारी संचालित है। कुकरैल नाइट सफारी पार्क देश की पहली नाइट सफारी होगी। इसके निर्माण होने से यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर आएगी, जिससे विदेशी पर्यटक भी आकर्षित होंगे। नाइट सफारी क्षेत्र में इंडियन वॉकिंग ट्रेल, इंडियन फुटहिल, इंडियन वेटलैण्ड, एरिड इंडिया व अफ्रीकन वेटलैंड की थीम पर विकसित किए जाने वाले क्षेत्र मुख्य आकर्षण होंगे। नाइट सफारी में कुल 42 इनक्लोजर में 54 प्रजातियों के जानवरों को रखा जाएगा। नाइट सफारी की अधिकतम धारण क्षमता 8000 व्यक्ति प्रति रात्रि होगी। पर्यटकों द्वारा नाइट सफारी पार्क का अवलोकन 5.5 किमी ट्राम-वे तथा 1.92 किमी का पाथ-वे के माध्यम से किया जाएगा। नाइट सफारी में एशियाटिक लॉयन, घड़ियाल, बंगाल टाइगर, उड़न गिलहरी, तेन्दुआ, हायना आदि आकर्षण का केंद्र होंगे। कुकरैल नदी के दोनों तरफ सुंदर पार्क विकसित किए जाएंगे। एडवेंचर एक्टिविटी भी होंगी।
गोमती की सहायक नदी नदी है कुकरैल
1904 में प्रकाशित लखनऊ के गजेटियर के अनुसार कुकरैल महोना में अस्ती गांव के उत्तर से निकलती है और शहर के ठीक नीचे भीखमपुर के पास गोमती नदी में मिल जाती है। गजेटियर के अनुसार कुकरैल का पानी, अपने शुद्धता के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता की मानें तो गोमती के अस्तित्व के लिए अविरल निर्मल कुकरैल नदी आवश्यक है।
प्रो. दत्ता बताते हैं कि कुकरैल नदी, गोमती की सहायक नदी है। यह मध्य लखनऊ शहर से गुजरते समय बड़ी मात्रा में पानी लाती है। 1962 में तटबंध के निर्माण से पहले, कुकरैल नदी बैराज के नीचे की ओर (जहां वर्तमान ताज होटल और अंबेडकर पार्क स्थित है) गोमती से मिलती थी लेकिन तटबंध के निर्माण के बाद नदी का यह हिस्सा नदी की मुख्यधारा से कट गया। कुकरैल के रिपेरियन बफर को बांधों, नालों और अनियोजित शहरीकरण से काफी नुकसान हुआ है, इसे बिना नुकसान पहुंचाए जहां तक हो सके, रिस्टोर करने की जरूरत है।
हिन्दुस्थान समाचार/जितेन्द्र/आकाश