विश्व के अनेक देशों में पढ़ा जा रहा है भारतीय योग और दर्शन : संजय सिंह
लखनऊ,22 दिसम्बर (हि.स.)। डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने सोमवार को विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के अंतर्गत शिक्षा की मुख्य धारा में भारतीय ज्ञान परंपरा को एकीकृत करने के उद्देश्य से 'भारत बौद्धिक्स' योजना के अंतर्गत कला विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान विषयों पर आधारित 21 पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने कहा कि आज विश्व के समक्ष पर्यावरणीय संकट, नैतिक मूल्यों का ह्रास, आदर्शों की कमी, संस्कृति एवं परंपराओं से दूरी जैसी अनेक प्रकार की समस्याएँ दिखाई दे रही हैं, जिनका समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन के माध्यम से संभव है। भारतीय ज्ञान की विशिष्टता और महत्त्व को विश्व सदियों से अनुभव करता आ रहा है और आज उसे और अधिक गहराई से समझ रहा है। यही कारण है कि भारतीय योग और दर्शन को आज भारत से भी अधिक विश्व के अनेक देशों में पढ़ा, अपनाया और व्यवहार में लाया जा रहा है। चाहे भारतीय योग-दर्शन हो, वास्तुकला, मानसिक स्वास्थ्य, पंचकोश आधारित शिक्षा, स्थापत्य कला या आयुर्वेद इन सभी क्षेत्रों में भारतीय ज्ञान की समृद्ध परंपरा उपलब्ध है, जो समय की कसौटी पर परखी हुई है और जिनमें बिना अत्यधिक अनुसंधान के भी व्यावहारिक रूप से कार्य किया जा सकता है। हम सभी का यह कर्तव्य है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मार्ग पर चलते हुए भारतीय ज्ञान और दर्शन का उपयोग विश्व की समकालीन समस्याओं के समाधान में किया जाए। इस कार्यक्रम में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के क्षेत्र संयोजक प्रो. जय शंकर पांडेय, डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स वी. के. सिंह , विश्वविद्यालय के कुलसचिव रोहित सिंह , कुलानुशासक प्रो. सी के दीक्षित, निदेशक भर्ती डॉ संजीव गुप्ता,अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो आशुतोष पांडेय उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन