बाबा विश्वनाथ की नगरी में वीणावादिनी की आस्था के साथ पूजा अर्चना, पंडालों में उमड़ी भीड़

 




- उत्साही युवकों ने जगह-जगह रखी होलिका की नींव, नगाड़े की थाप पर थिरके

वाराणसी,14 फरवरी (हि.स.)। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी (बसंत पंचमी) पर बुधवार को काशीपुराधिपति की नगरी वाणी-ज्ञान, बुद्धि और विवेक की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के पूजन में लीन रही। बदली और बूंदाबांदी के बीच जिले के ग्रामीण अंचल के गली-टोला, कस्बा और शहरी क्षेत्र के मोहल्लों, कॉलोनियों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों, भव्य पूजा पंडालों में वाग्देवी की विधिवत पूजा-आराधना होती रही।

पूजा पंडालों में सुबह से ही मां सरस्वती के प्रतिमाओं में मंत्रोच्चार और विविध अनुष्ठान के बीच प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्राण प्रतिष्ठा और पूजन अर्चन के बाद पण्डालों का पट आम जन के लिए खोल दिया गया। फिर वाग्देवी के भव्य प्रतिमाओं के दर्शन पूजन के लिए लोग पहुंचते रहे। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रावासों में भी वीणावादिनी की पूरे आस्था के साथ पूजा की गई। प्रतिवर्ष की भांति नदेसर स्थित भारतीय स्पोर्टिंग क्लब के पंडाल को भव्य तरीके से सजाया गया। आकर्षक बिजली के झालर-झुमर के बीच पंडाल में स्थापित मां सरस्वती की विशाल प्रतिमा अलग ही आभा बिखेर रही थी।

इसी तरह तेलियाबाग मारूति क्लब, मैदागिन स्थित वीसू जी मंदिर में सरस्वती पूजन के लिए युवाओं की भीड़ जुटी रही। उधर, बसंत पंचमी पर चहुंओर उत्सव की खुमारी लोगों में दिखी। उत्साही युवकों और बच्चों की टोली ने मस्ती और उल्लास के बीच परम्परानुसार रेड़ का वृक्ष और उसकी डालिया काट चौराहों पर रख होलिका की नींव भी रखी। युवा होलिका की स्थापना करके उस पर लकड़ी उपले भी रखते रहे। यह नजारा शहर के प्रमुख चौराहों, गलियों के साथ गांवों में दिखा। होलिका का नींव रखते समय युवा नगाड़े की थाप पर जमकर थिरकते रहे।

गौरतलब हो कि युवा अब होलिका दहन के समय तक होलिका का आकार बढ़ाते जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित