विश्व अल्जाइमर दिवस : एक प्रगतिशील न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी
प्रयागराज, 22 सितम्बर (हि.स.)। एनसीआर के केंद्रीय अस्पताल में रविवार को विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम, “डिमेंशिया पर कार्य करने का समय, अल्जाइमर पर कार्य करने का समय“ पर डॉ. मृत्युंजय कुमार ने अल्जाइमर रोग पर चर्चा करते हुए बताया कि यह एक प्रगतिशील न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी है। जिसमें मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस जो स्मृति और स्थानिक जागरूकता से जुड़ा होता है, सबसे पहले क्षतिग्रस्त होता है।
उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मस्तिष्क के अन्य हिस्से भी प्रभावित होते हैं। जिससे रोगी की दैनिक जीवन की गतिविधियों में स्वतंत्रता कम होती जाती है। प्रारम्भिक लक्षणों में साधारण भूलने की घटनाएं शामिल होती हैं, जो समय के साथ अधिक गंभीर हो जाती हैं और रोगी की भाषा, ध्यान, और समस्या-समाधान क्षमता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में अल्जाइमर का कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, डोनेपेज़िल, रिवास्टिग्माइन और मेमन्टाइन जैसी दवाओं के माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। ये दवाएं न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन को सुधारने में मदद करती हैं, हालांकि ये रोग की प्रगति को रोकने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं।
रोकथाम के संदर्भ में उन्होंने मस्तिष्क की सक्रियता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। पहेलियां हल करना, संगीत सुनना और योग जैसी गतिविधियां मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी को बनाए रखने में सहायक हो सकती हैं। सामाजिक सम्पर्क और मानसिक रूप से उत्तेजक गतिविधियां भी रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकती हैं।
उन्होंने बायोमार्कर्स, जैसे पीईटी स्कैन और सीएसएफ विश्लेषण के उपयोग से अल्जाइमर के प्रारम्भिक निदान की क्षमता पर चर्चा की। साथ ही, जीन आधारित परीक्षण से जोखिम का पूर्वानुमान सम्भव है। भविष्य में जीनोम एडिटिंग और इम्यूनोथेरपी जैसे उन्नत उपचार विकल्पों से इस बीमारी के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद जताई गई।
इसके बाद डॉ. कल्पना मिश्रा ने देखभाल कर्ताओं के मानसिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों की देखभाल में देखभाल कर्ताओं का समर्पण अत्यंत आवश्यक है और समाज को उनके समर्थन में कार्य करना चाहिए। डॉ. रोहित कुमार ने भी देखभाल कर्ताओं के समर्पण को प्रेरणादायक बताया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य फार्मासिस्ट राजकुमार, मुख्य नर्सिंग अधीक्षिकाएं मोडेस्टा सीता और सुमंती तथा स्वास्थ्य शिक्षक श्रवण का विशेष योगदान रहा। उनके प्रयासों से यह कार्यक्रम न केवल अल्जाइमर रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश का प्रसार भी किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र