तेरी बातों में अमृत है गंगाजल तक क्यों जाऊं...
कासगंज 05 मार्च (हि.स.)। महाकवि संत तुलसीदास साहित्यिक संस्थान ने सोरों मार्ग स्थित वारह पत्थर मैदान अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें दूर दराज से आए कवियों ने प्रतिभाग किया। उद्घाटन प्रोफेसर डॉ अंजना बशिष्ठ रावत ने माँ शारदे के चित्र पर फूल माला चढ़ाकर एवं दीप प्रज्वलित कर किया। अध्यक्षता भाजपा नेता डॉ बीड़ी राना ने की। स्वागत सम्मान किया डॉ अंजना वशिष्ठ रावत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता महेंद्र बघेल समाज सेवी मनोज गुप्ताने सभी अतिथि और कवियों को फूल माला के साथ शाल उड़ाकर प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
लखनऊ कवयित्री डॉ सरला शर्मा ने मां सरस्वती की वंदना पढ़कर कवि सम्मेलन की शुरुआत की। हास्य व्यंग्य गीत ग़ज़ल रसबीर सरकार रस की रचनाओं के माध्यम से कई कवित्रियों ने लोगों से बाहवाही ली। कवि सत्यवीर सिंह सिकरवार ने कविता के माध्यम से किसानों के हालातो को भी बयान किया। उन्होंने कहा आओ मेरे साथ दिखाएं, भारत की तस्वीर, सुनी ना जाए जिसकी पीर।
लखनऊ से पधारी कवयित्री डॉ सरला शर्मा ने पढ़ा है खुसरो की ज़मीं रब की इनायत साथ रहती है। यहां तुलसी की चौपाई अमां की बात कहती है।दिल्ली से आए हास्य कवि सुनहरी लाल तुरंत ने पढ़ा वो ख़ूब हंसाता है संसद में बैठाअँखियाँ मिचकाता है।
लखनऊ की कवयित्री मुस्कान शर्मा ने कहा होंठों पे प्यासे हैं कई रोज़ से पनघट पे खड़े हैं, दरिया को मगर प्यास बुझाना नहीं आया। मैनपुरी से पधारे कवि सतीश मधुप ने पढ़ा अग्नि में तपकर वासी बनवास दे देंगे तुम्हेंफरुखाबाद से पधारे उत्कर्ष अग्निहोत्री शोलो पे मुद्दतों चले तूफाँ से लड़े हैं।कुछ लोग तो अदब के अदब से भी बड़े हैं।
गीतकार डॉ अजय अटल ने पढ़ा नैन में सागर है असुर नमकीन नहीं होते।विपिन शर्मा ने पढ़ा है गुलाब सा चेहरा तेरा, नील कमल तक क्यों जाऊं।तेरी बातों में अमृत है ,गंगा जल तक क्यों जाऊं।
वीरा मिश्रा ने पढ़ा दूर सारे भरम हो गए उनके ऐसे कर्म हो गए , आदमी दिख पढ़ता नहीं सब के सब बेशर्म हो गए। संजीव सरगम, शिवम अश्क, विवेक झा, महेश संघर्षी, आतिश सोंलकी, मोहित सक्सेना, सहित अन्य कवियों ने काव्य पाठ कर श्रोताओ को खूब गुदगुदाया।
हिंदुस्थान समाचार/पुष्पेंद्र सोनी/बृजनंदन