कहां कहूं छवि आए की भले विराजे नाथ, राघवेंद्र के भव्य विग्रह का भक्तों ने किया दर्शन
-सागर व पवित्र नदियों के जल से भगवान राम का दिव्य पट्टाभिषेकम,अनुष्ठान
वाराणसी,18 अप्रैल(हि.स.)। दशाश्वमेध थाना क्षेत्र का मानसरोवर तीर्थ क्षेत्र गुरुवार को सुबह सुबह ही वैदिक ऋचाओं से गुंजायमान रहा। अवसर रहा श्री राम तारक आंध्र आश्रम परिसर में वर्ष प्रतिपदा से चल रहे श्री राम साम्राज्य पट्टाभिषेकम उत्सव का। पुनीत अनुष्ठान का श्रीगणेश देश के दोनों सागरों व प्रमुख पवित्र नदियों से लाए गए जल से प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का अनुष्ठान हुआ। मुख्य आचार्य उलीमिरी सोमायाजुलू के दिशा निर्देशन में वेद के ज्ञाता दक्षिण भारतीय पंडितों ने पवित्र जल पूरित कलशों से श्री राम प्रभु के मस्तकाभिषेक करने के पश्चात वेद मंत्रों से राजा राम के सिंहासन को यंत्र सिद्ध किया।
राघवेंद्र सरकार का राजश्री शृंगार कर उन्हें अष्टधातु से निर्मित सिंहासन पर आरूढ़ कराया गया। इसके साथ ही उत्सव मंडप में नाद वृंदम की स्वर लहरियों के साथ शंखनाद होने लगा। इस मनोहारी झांकी को देख भाव विभोर भक्तों ने राजा रामचंद्र की जय का गगनभेदी जयकारा लगाया। प्रभु श्री राम के अनुपम अलौकिक झांकी के दर्शन के लिए उत्सव मंडप में दोपहर से आश्रम में श्रद्धालुओं की कतार लगी रही । धर्म नगरी काशी में पहली बार आयोजित इस महान अनुष्ठान में स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा दक्षिण भारत से आए भक्त जनों की भी भीड़ जुटी रही।
अनुष्ठानिक उत्सव का समापन प्रभु के स्तवन व स्वस्ति वाचन से हुआ। वैदिक कर्मकांड में मुख्य आचार्य सौम्याजुलू के साथ आचार्य बुद्ध शर्मा, पंडित श्याम शास्त्री ,आश्रम के प्रबंध न्यासी वी वी सुंदर शास्त्री आदि शामिल रहे। इस उत्सव के समानांतर आश्रम में चल रहे वाल्मीकि रामायण पारायण क्रम को भी आज ग्रंथ पूजन के साथ विराम दिया गया । आचार्य सौम्याजुलू ने बताया कि साम्राज्य पट्टाभिषेक एक लोक कल्याणकारी अनुष्ठान है । इसमें सहभागिता से प्राप्त पुण्य का कभी क्षय नहीं होता ।
उत्सव के आयोजक बीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि राज्यारोहण प्रसंग के पश्चात शुक्रवार को राम प्रभु का सहस्त्र तुलसी दल अर्चन, एवं सुहागिन महिलाएं देवी सीता के कुमकुमार्चन की रस्म 19 अप्रैल को निभायेगी। शुक्रवार संध्या सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के नाम रहेगी। 20 अप्रैल को श्री राम दरबार की गंगा में विशाल बजड़े पर शोभायात्रा निकाली जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम