लोकसभा चुनाव : जब बागपत में चरण सिंह को चुनौती देने पहुंच गए राजनारायण
मेरठ, 28 मार्च (हि.स.)। बागपत लोकसभा सीट से कई दिग्गजों ने चुनाव लड़ा है और यहां से चुनाव जीतने वाले चौधरी चरण सिंह तो भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। 1984 में बागपत में राजनीतिक दिग्गजों के बीच महामुकाबला हुआ, जिसमें खुद को चौधरी चरण सिंह का हनुमान कहने वाले लोकबंधु राजनारायण उन्हें ही चुनौती देने बागपत पहुंच गए। बागपत में राजनारायण ने चुनावी सभाओं में चौधरी चरण सिंह को खूब ललकारा।
समाजवादी योद्धा राजनारायण की गिनती देश की सियासत में अव्वल दर्जे में होती है। फक्कड़ स्वभाव के लोकबंधु राजनारायण ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पहले कोर्ट में हराया और इसके बाद राजनीति के अखाड़े में भी इंदिरा गांधी को रायबरेली में करारी शिकस्त दी। इसके बाद राजनारायण पूरे देश में छा गए। वे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के गहरे मित्र थे और खुद को उनका हनुमान कहते थे।
मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार सुबोध चौधरी जानी बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह और राजनारायण के बीच खटास पैदा हो गई थी। इसके बाद 1984 में राजनारायण बागपत से चरण सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए पहुंच गए। उस समय बागपत लोकसभा क्षेत्र चौधरी चरण सिंह का अभेद्य गढ़ बन चुका था। इसके बाद भी राजनारायण द्वारा उन्हें चुनौती देना दिलचस्प था। अपनी चुनावी सभाओं में राजनारायण द्वारा चौधरी चरण सिंह के खिलाफ जमकर आग उगली जाती थी। इससे क्षेत्र के लोग राजनारायण से गुस्सा हो जाते थे। कई बार चौधरी चरण सिंह ने मंच से अपने समर्थकों से राजनारायण की बातों पर गुस्सा नहीं दिखाने की बात कही।
सुबोध चौधरी जानी बताते हैं कि राजनारायण का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि वे विरोधियों से भी जीत का आशीर्वाद मांगते थे। 1984 में जब राजनारायण नामांकन दाखिल करने के लिए जा रहे थे तो सामने से चरण सिंह भी आ गए। यह देखकर राजनारायण ने उनका हाथ अपने सिर पर रखकर जीत का आशीर्वाद मांगा और आशीर्वाद लेकर ही हटे। चौधरी चरण सिंह को राजनारायण की देर रात चुनावी सभाएं करने वाली बात खटकती थी कि कहीं किसी गांव में उनके साथ बदसुलूकी न हो जाए। इस चुनाव में राजनारायण तीसरे नंबर पर रहे।
आजादी के बाद सबसे ज्यादा बार जेल गए
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार अजय चौहान बताते हैं कि लोकबंधु राजनारायण देश के दिग्गज समाजवादी नेता थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा विशाल था और उन्होंने गरीबों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अपने 69 वर्ष के जीवन में राजनारायण 80 बार जेल गए। वे ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जो जितनी बार स्वतंत्रता आंदोलन में जेल गए, उससे अधिक बार देश के स्वतंत्र होने के बाद जेल गए। वह जीवन भर लड़कियों की शिक्षा के लिए समर्पित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/सियाराम