(अपडेट )योगी सरकार ने विधानसभा में प्रस्तुत किया 24,496.98 करोड़ का अनुपूरक बजट

 


-विकास की रफ्तार बनाए रखने और प्राथमिक क्षेत्रों को मजबूती देने पर सरकार का फोकस

-अनुपूरक बजट मूल बजट का 3.03 प्रतिशत, 18,369 करोड़ राजस्व व्यय और 6,127 करोड़ पूंजीगत व्यय का प्रावधान

लखनऊ, 22 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान वित्तीय वर्ष 2025–26 के लिए 24,496.98 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह अनुपूरक बजट प्रदेश में विकास की निरंतरता बनाए रखने, आवश्यक क्षेत्रों में अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने और बदलती जरूरतों के अनुरूप योजनाओं को गति देने के उद्देश्य से लाया गया है।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को बताया कि वर्ष 2025–26 के लिए प्रदेश का मूल बजट 808,736.06 करोड़ का था, जबकि प्रस्तुत अनुपूरक बजट मूल बजट के अनुपात में 3.03 प्रतिशत है। अनुपूरक बजट को मिलाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 का कुल बजट अब 833,233.04 करोड़ का हो गया है। उन्होंने कहा कि यह बजट विकासात्मक प्राथमिकताओं को और अधिक सुदृढ़ करने पर केंद्रित है।

प्रस्तुत अनुपूरक बजट में राजस्व व्यय के रूप में 18,369.30 करोड़, पूंजीगत व्यय के रूप में 6,127.68 करोड़ का प्रावधान किया गया है। सरकार का उद्देश्य राजस्व आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर आधारभूत ढांचे को मजबूत करना है।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अनुपूरक बजट में प्रदेश की आर्थिक प्रगति और जनकल्याण से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। इसके अंतर्गत औद्योगिक विकास के लिए 4,874 करोड़ रुपये, पावर सेक्टर के लिए 4,521 करोड़, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3,500 करोड़, नगर विकास के लिए 1,758.56 करोड़, तकनीकी शिक्षा के लिए 639.96 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित की गई है।

महिला, शिक्षा, सौर ऊर्जा और कृषि से जुड़े क्षेत्रों को भी बल

अनुपूरक बजट में सामाजिक और भविष्य उन्मुख क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत, महिला एवं बाल विकास के लिए 535 करोड़, यूपीनेडा (सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा) के लिए 500 करोड़, मेडिकल एजुकेशन के लिए 423.80 करोड़, गन्ना एवं चीनी मिल क्षेत्र के लिए 400 करोड़ की बजटीय व्यवस्था की गई है।

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि योगी सरकार ने एफआरबीएम (FRBM) अधिनियम की सीमा का हमेशा पालन किया है और किसी भी स्तर पर वित्तीय अनुशासन से समझौता नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पत्रक के अनुसार उत्तर प्रदेश की जीडीपी (GSDP) 31.14 लाख करोड़ आंकी गई है, जो पहले के अनुमानों से अधिक है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस स्टेट के रूप में उभर रहा है, जो राज्य की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

जब किसी वित्तीय वर्ष में स्वीकृत धनराशि व्यय की वास्तविक आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त हो जाती है, तब अनुपूरक अनुदान की मांग विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। कई बार नई मदों पर व्यय की आवश्यकता होती है या योजनाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन के कारण विधानमंडल की स्वीकृति अनिवार्य हो जाती है।

-ऊर्जा, स्वास्थ्य और नगरीय विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकता

-औद्योगिक विकास के लिए 4,874 करोड़, पावर सेक्टर को 4,521 करोड़

-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को 3,500 करोड़ की बड़ी सौगात

-नगर विकास के लिए 1,758.56 करोड़, शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर

-तकनीकी शिक्षा के लिए 639.96 करोड़, स्किल और इनोवेशन को बढ़ावा

-महिला एवं बाल विकास के लिए 535 करोड़ का प्रावधान

-सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए यूपीनेडा को 500 करोड़

-मेडिकल एजुकेशन को 423.80 करोड़, गन्ना एवं चीनी मिल को 400 करोड़

-वित्तीय अनुशासन के साथ विकास का संतुलन, एफआरबीएम सीमा का पूर्ण पालन

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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला