परम्परागत होली गायन से सजा विंध्य दरबार, भक्तों ने चढ़ाया अबीर-गुलाल

 


- छह दिवसीय होली समारोह का समापन होलिका दहन के दूसरे दिन

मीरजापुर, 21 मार्च (हि.स.)। श्रीविंध्य पंडा समाज की ओर से विंध्यवासिनी मंदिर परिसर में प्राचीन परंपरागत होली गायन का शुभारंभ रंभभरी एकादशी से हुआ। छह दिवसीय होली समारोह का समापन होलिका दहन के दूसरे दिन बैशाख कृष्णपक्ष प्रतिपदा को चौती गायन से किया जाएगा।

उत्कृष्ठ साहित्यों से सजी होली गीतों को गुरु-शिष्य परंपरा का अनुसरण करते हुए स्थानीय कलाकार ही इसकी प्रस्तुति करते हैं। इस आयोजन में प्रचलित होली गीतों को सुनने के लिए काफी संख्या में श्रोता मंदिर परिसर में एकत्र होते हैं। रंगभरी एकादशी की संध्या पर आयोजन का आरंभ मां विंध्यवासिनी की बंदना पर आधारित होली गीत अम्बे विंध्य शिखर होली, खेलत श्रीजगदम्ब से हुई। राधा-कृष्ण के प्रसंगों पर आधारित होली गायन से समूचा मंदिर प्रांगण गुंजायमान हो उठा।

स्थानीय कलाकारों के एक से बढ़कर एक होली गीत पर लोग झूमते नजर आए। वशिष्ठ नारायण पांडेय, धर्मेन्द्र भट्ट, प्रदीप पांडेय, रविशंकर शास्त्री, शिवशक्ति पांडेय, मोहनजी स्वाम एवं हरीनारायण पांडेय ने अपने मधुर कंठों से गायन की अद्भुत प्रस्तुतियां दी तो वहीं मास्टर तौलन शहनाई, रवि द्विवेदी तबला, रंगनाथ ढोलक तथा रजत शर्मा के ऑर्गन पर संगत ने होली गीतों में चार चांद लगा दिया।

कार्यक्रम के पूर्व श्रीविंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी, मंत्री भानु पाठक व कोषाध्यक्ष तेजन गिरी ने मां विंध्यवासिनी के चरणों में अबीर गुलाल अर्पित किया। इस दौरान पंडा समाज के पूर्व अध्यक्ष राजन पाठक, ओमप्रकाश मिश्र, कुलदीप पांडेय, राजेश्वर पंडा, तरुण पांडेय, रत्नेश भट्ट, जितेन्द्र भट्ट आदि के बड़ी संख्या में दर्शनार्थी एवं श्रोताओं ने होली गीतों का आनंद लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/मोहित