वाराणसी बना यूपी में थ्रोमबाॅलिसिस थेरेपी देने वाला पहला जिला, हार्ट अटैक आने पर मरीजों का होगा बेहतर इलाज
वाराणसी, 26 दिसंबर (हि.स.)। हृदयाघात परियोजना (स्टेमी प्रोजेक्ट) के तहत प्रदेश में वाराणसी थ्रोमबाॅलिसिस थेरेपी देने वाला पहला जिला बन गया है। स्वास्थ्य विभाग और आईसीएमआर के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार योजनाबद्ध तरीके से हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से निपटने की पूरी तैयारी की गयी है। इसके तहत हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदयाघात की समस्या दिखाई देने पर उसे थ्रंबोलाइसिस थेरेपी दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से मरीज को करीब 24 घंटे का समय मिल जाता है तथा मरीज नजदीकी बड़े केंद्र पर जा कर आवश्यकतानुसार एंजियोप्लास्टी या अन्य जरूरी उपचार करा सकता है।
मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में हृदयाघात परियोजना को बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है। बीएचयू हब एवं जनपद के जिला स्तरीय चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्पोक के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक आज भी हमारे देश में मौत का सबसे बड़ा कारण है। ज्यादातर मामलों में मौत की वजह गोल्डेन आवर में रोगी का चिकित्सालय नहीं पहुंच पाना है जिसके कारण इलाज होने में देरी हो जाती है, इसलिए हमने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं इससे ऊपर स्तर के सभी अस्पतालों में चिकित्सकों को थ्रंबोलाइसिस थेरेपी देने का प्रशिक्षण दिलाया है। सीएमओ ने बताया कि इस योजना को पायलट आधार पर पहले तमिलनाडु सहित अन्य प्रदेशों में शुरू किया गया था। इस योजना के लागू करने के बाद हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक की कमी देखी गई।
क्या है थ्रंबोलाइसिस
हृदय रोग विशेषज्ञ बीएचयू के प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र जैन ने बताया कि थ्रंबोलाइसिस उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें एक एंजाइम के जरिये रक्त में मौजूद थक्के को गला दिया जाता है। रक्त पतला होने से वह आसानी से धमनियों में संचरण कर पाता है।
मुंबई से आए पर्यटक के लिए बना वरदान थ्रंबोलाइसिस उपचार
मंगलवार को मुंबई से आये 55 वर्षीय पर्यटक को अचानक सीने में तेज दर्द की शिकायत होने पर उसे शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारनाथ लाया गया। चिकित्सकों ने रोगी की स्थिति को देखते हुए हृदयाघात के लक्षणों को पहचान कर प्राथमिक उपचार दिया । इसके बाद तत्काल उसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय पांडेपुर को संदर्भित कर दिया गया। डीडीयू में चिकित्सकों की टीम ने ईसीजी कर रोगी की स्थिति की जानकारी प्राप्त की। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में फिजिशियन डॉ मनीष यादव, डॉ प्रेम प्रकाश ,डॉ नरेंद्र मौर्य, डॉ परवेज अहमद ,डॉ शिव शक्ति द्विवेदी ने मरीज का इलाज प्रारंभ किया । रोगी को इंजेक्शन टेनेक्टप्लेस से थ्रोमबाॅलिसेड किया गया। इसके पश्चात आधे घंटे तथा एक घंटे बाद पुन: ईसीजी करके रोगी की स्थिति की जानकारी प्राप्त की गयी। रोगी सामान्य स्थिति में आ गया और उसकी जान बच गई। इसकी जानकारी होने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी चिकित्सकों की जमकर सराहना की।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर/प्रभात