वाराणसी : दुर्गा पूजा पंडालों को कारीगर अंतिम रूप देने में जुटे

 


—शारदीय नवरात्र की शुरुआत तीन अक्टूबर से, देवी मंदिरों में चल रही तैयारियां

वाराणसी, 28 सितम्बर (हि.स.)। नगर के देवी मंदिरों के साथ पूजा पंडालों में शारदीय नवरात्र की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। देवी मंदिरों में साफ सफाई के साथ रंग—रोगन और बैरिकेडिंग का काम हो रहा है। शहरी और ग्रामीण अंचल के दुर्गा पूजा पंडालों को कारीगर श्रमिकों के साथ अन्तिम रूप देने के लिए रात दिन काम कर रहे हैं। पूजा समितियों के पदाधिकारी भी कारीगरों के काम की निगरानी कर रहे हैं।

गौरतलब हो कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि तीन अक्टूबर से हो रहा है। इस बार 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्र के पहले दिन तीन अक्टूबर को अलईपुर स्थित माता शैलपुत्री के दर्शन पूजन का विधान है। दूसरे दिन चार अक्टूबर को दुर्गाघाट स्थित मां ब्रह्मचारिणी देवी, तीसरे दिन पांच अक्टूबर को कर्णघंटा स्थित मां चंद्रघंटा का दर्शन पूजन होगा। चौथे दिन 06 अक्टूबर को दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा, पांचवें दिन 07 अक्टूबर को जैतपुरा स्थित मां स्कंदमाता (बागेश्वरी देवी), छठवें दिन आठ अक्टूबर को ललिताघाट स्थित मां कात्यायनी, सातवें दिन 09 अक्टूबर को काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के कालिका गली स्थित मां कालरात्रि, आठवें दिन 10 अक्टूबर को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित मां महागौरी (मां अन्नपूर्णा), नौवें व अन्तिम दिन 11 अक्टूबर को गोलघर मैदागिन स्थित माता सिद्धिदात्री के दर्शन पूजन का विधान है।

इस बार मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आ रही

सनातन धर्म में मां दुर्गा की सवारी शेर है लेकिन धरती पर जब वह नवरात्र में आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है। इस बार मां दुर्गा का आगमन गुरुवार को डोली से और प्रस्थान चरणायुद्ध ( मुर्गे) से है। माना जा रहा है कि इस बार माता रानी के आगमन और प्रस्थान की सवारी दोनों शुभ नहीं हैं। ज्योतिषविदों का कहना है कि माता का डोली पर आगमन का फल कष्टकारी होगा। देश में रोग, शोक व प्राकृतिक आपदा आने का संकेत है। देवी पुराण के अनुसार, पालकी पर सवारी का संकेत है कि देश में आर्थिक मंदी आ सकती है। ज्योतिषविद मनोज उपाध्याय बताते है कि मंगलवार और शनिवार को नवरात्र का आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी अश्‍व यानी घोड़ा मानी जाती है। यदि नवरात्र गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होती है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती है। यदि मां दुर्गा रविवार और सोमवार को आती हैं तो उनकी सवारी हाथी होती है। जो कि सबसे शुभ मानी जाती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी