वैदिक और पौराणिक काल में भरत के समान नहीं हुआ कोई महापुरुष : आचार्य मिथिलेश नंदिनी
- तीन दिवसीय राम कथा के अंतिम दिन भरत चरित्र प्रसंग का वर्णन
मुरादाबाद, 12 जून (हि.स.)। सीएल गुप्ता परिवार की ओर से से आयोजित तीन दिवसीय राम कथा के अंतिम दिन भरत चरित्र प्रसंग का वर्णन अयोध्या से पधारे आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण जी महाराज ने किया।
इस अवसर पर आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण जी महाराज ने कहा कि वैदिक और पौराणिक काल में भरत के समान कोई महापुरुष नहीं हुआ, जो अपनी समस्त उपलब्धियों को श्रीचरणों की सेवा सामग्री बना सके। साथ ही राम के अतिरिक्त जिसका कोई लक्ष्य ही न हो। उन्होंने सुनाया कि तपस्या एक अभ्यास है और भगवान के चरणों में प्रेम उसी तपस्या का चरम फल है।
उन्होंने कहा कि संसार के समस्त धर्मों को एक साथ धारण करने का दुरुह कार्य केवल भरत ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि संसार में भरत का जन्म न हुआ होता तो हरि चरणों में पूर्ण प्रेम का अमृत कलश प्रकट ही नहीं हो पाता।
महाराज श्री ने आगे कहा कि पर्वत-कंदराओं में जाकर साधना करना, किसी विशेष अभ्यास से ही संभव है, लेकिन भरत ने जो साधना महल और नंदीग्राम में रहकर की, वह उत्कृष्ट है। ऐसी साधना जब तक व्यक्ति पूरी तरह अहम भाव से ऊपर न उठ जाए और हरि चरणों में अनुरक्त न हो जाए, तब तक संभव नहीं है। अपनी तपस्या की शक्ति से विश्वामित्र त्रिशंकु के लिए नए स्वर्ग का निर्माण कर सकते हैं। लेकिन वह वशिष्ठ की तपस्या के प्रभाव से की गई, अलौकिक सेवा को देखकर अपने आप को कामधेनु की पुत्री नंदिनी गाय के लोभ से ऊपर नहीं उठा सके। महर्षि वशिष्ठ के गाय न देने पर वे उनसे बैर ठान लेते हैं।
इस मौके पर में चित्रकूट के पीठाधीश्वर आचार्य श्री लवलेश आनंद एवं अयोध्या के महान संत विज्ञानंद मौजूद रहे। कानपुर से आए प्रसिद्ध पंडित गौरव द्वारा मंत्रोचार के साथ भरत चरित्र प्रसंग का संचालन शुरू हुआ। मुख्य आयोजक सीएल गुप्ता ट्रस्ट की ट्रस्टी शिखा गुप्ता व राघव गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया।
हिन्दुस्थान समाचार/निमित/राजेश