बौद्ध विरासत की समृद्ध धरोहर है उत्तर प्रदेश, पर्यटन को मिलेगी उड़ान : जयवीर सिंह

 


- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किए जाएंगे बुद्ध धम्म और बौद्ध संस्कृति

- पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन के बीच एमओयू

- राज्य भर में बौद्ध स्थलों की होगी पहचान, दुनिया भर के पर्यटक होंगे आकर्षित

लखनऊ, 06 फरवरी (हि.स.)। पर्यटन व संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश तथा इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन नई दिल्ली के बीच मंगलवार को पर्यटन भवन में वर्चुअल रूप से एमओयू निष्पादित हुआ। प्रथम चरण में यह अनुबंध 10 वर्षों के लिए है, जो परस्पर सहमति से भविष्य में बढ़ाया जा सकता है। इसका उद्देश्य बुद्ध धम्म और बौद्ध संस्कृति को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परस्पर सहयोग से प्रचारित-प्रसारित करना है।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि बौद्ध विरासत की समृद्ध धरोहर उत्तर प्रदेश के पास है। बौद्ध पर्यटन उद्योग की दृष्टि से भी उत्तर प्रदेश सर्वाधिक संभावनाओं वाला प्रदेश है। यहां पर्यटन स्थलों और पर्यटक सुविधाओं का निरंतर विकास किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में दक्षिणपूर्व एशिया बौद्ध तीर्थयात्री व पर्यटक उप्र के पर्यटन स्थलों की यात्रा करने आते हैं।

उन्होंने बताया कि यह समझौता पर्यटन व संस्कृति विभाग के साथ मिलकर राज्य भर में बौद्ध स्थलों की पहचान करेगा और दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने व इसके समग्र विकास के लिए इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन को सभी आवश्यक भूमि, अनुमति और अधिकार प्रदान करेगा।

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि विश्व के पर्यटकों को प्रदेश में आकर्षित करने के दृष्टिगत सेमिनार, समारोह, मेला, बौद्ध पर्व यथा आषाढ़ पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि अवसरों को साथ-साथ मनाने पर भी सहमति बनी है। इससे प्रदेश में पर्यटन को और तेज गति मिलेगी। इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन के महानिदेशक अभिजीत हलदर ने कहा कि आइबीसी विश्व के करीब 40 देशों के संपर्क में हैं। वहां के लोगों को उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध से जुड़े पर्यटन स्थलों से अवगत कराया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/राजेश