अनावश्यक सिंचाई से फसल तथा मिट्टी दोनों पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव: डॉ.राजीव

 


कानपुर, 09 कानपुर (हि.स.)। सब्जी फसलों में क्रांतिक अवस्थाओं पर ही सिंचाई करें अनावश्यक एवं अधिक मात्रा में सिंचाई जल के प्रयोग करने से फसल तथा मिट्टी दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह जानकारी शनिवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा सब्जी उत्कृष्टता केंद्र योजना के तहत विकासखंड बिल्हौर के ग्राम गदनपुर आहार में आयोजित विशाल कृषक गोष्ठी में शस्य वैज्ञानिक डॉक्टर राजीव ने दी।

उन्होंने बताया कि पानी जैसे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन का व्हास होता है। किसान भाइयों से अपील है कि प्राकृतिक जल को अधिक से अधिक बचाने का पूरा प्रयास करें।

इस मौके पर परियोजना के मुख्य समन्वयक डा डी पी सिंह ने बताया कि परियोजना का उद्देश्य कृषकों के मध्य सब्जी बीजों की प्रजातियों की उपलब्धता एवं महत्व को बढ़ावा देना है जिससे सब्जी उत्पादक कृषकों की आय में बढ़ोतरी हो।

वैज्ञानिक डॉक्टर आई एन शुक्ला ने लता वर्गी फसलों में कीट प्रबंधन पर चर्चा करते हुए बताया कि पत्तियों से रस चूसने वाले कीटों के प्रभावी नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड की एक मिली लीटर मात्रा का 3 लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर संजीव सचान ने मसाला फसलों में खरपतवार प्रबंधन की जानकारी देते हुए बताया कि बीज मसाला फसलों की बुवाई के बाद 2 दिन के अंतर्गत पेंडिमेथलीन की 3.3 लीटर मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि पर छिड़काव करने से अधिकांश खरपतवारों का बड़ी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान द्वारा बताया गया कि रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी का पीएच मान बढ़ रहा है इसलिए मिट्टी में सल्फर तत्व का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। जिसके लिए जिप्सम या फास्फोजिप्सम या दानेदार सल्फर का प्रयोग करें। इस अवसर पर पूर्व प्रधान बेचेलाल सहित सौ से अधिक किसान शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/रामबहादुर/बृजनंदन