इफको प्रतिनिधिमंडल के साथ 80 प्रगतिशील किसानों ने आइसार्क में कृषि नवाचारों का देखा
—नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पोषक तत्वों के कुशल उपयोग की दी गई जानकारी
वाराणसी,17 दिसंबर (हि.स.)। अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान – दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क), वाराणसी ने बुधवार शाम भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) के एक प्रतिनिधिमंडल तथा वाराणसी क्षेत्र के 80 किसानों की मेजबानी की। यह एक्सपोज़र विज़िट नैनो-उर्वरकों सहित नवीन कृषि तकनीकों को प्रदर्शित करने और सतत कृषि पद्धतियों में सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित की गई।
इफको प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यतेंद्र कुमार, राज्य विपणन प्रबंधक, तथा डॉ. आर. के. नायक, उप महाप्रबंधक (कृषि सेवाएँ), इफको, लखनऊ ने किया। इस दौरान डॉ. विवेक दीक्षित, एफ.ओ., वाराणसी एवं उनकी टीम भी उपस्थित रही। इस भ्रमण ने वैज्ञानिकों, इफको प्रतिनिधियों और किसानों के बीच उभरती तकनीकों एवं नैनो-उर्वरकों पर विस्तृत संवाद का अवसर प्रदान किया। प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए आइसार्क निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने कहा कि इरी और इफको के बीच सहयोग इस बात का उदाहरण है कि कैसे वैश्विक विज्ञान और स्वदेशी नवाचार मिलकर किसानों को लाभ पहुँचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि साझेदारियों के माध्यम से इरी ने दुनिया की लगभग 60 प्रतिशत धान किस्मों के विकास में योगदान दिया है, इसी दिशा में इफको नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और नैनो जिंक जैसे नवाचारों को आगे बढ़ा रहा है। इस सहयोग के अंतर्गत इन तकनीकों का वैज्ञानिक परीक्षण, परिष्करण और पुष्टिकरण किया जा रहा है, ताकि खेत स्तर पर उनका अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके। यतेंद्र कुमार ने कहा कि इफको का प्रत्येक नया उत्पाद किसानों तक पहुँचने से पहले खेतों में परीक्षण, विश्लेषण और सुधार की प्रक्रिया से गुजरता है। नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पोषक तत्वों के कुशल उपयोग, अपव्यय में कमी और फसल प्रदर्शन में सुधार में सहायक हैं। आइसार्क के साथ विज्ञान-आधारित साझेदारी किसानों के विश्वास को मजबूत करने की कुंजी है।
डॉ. आर. के. नायक ने कहा कि स्वस्थ मिट्टी और संतुलित पोषण सतत फसल उत्पादन की आधारशिला हैं तथा नैनो उर्वरक और सटीक पोषक तत्व प्रबंधन प्रदूषण को कम करने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए कृषि को संरक्षित रखने में सहायक हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत आइसार्क के वैज्ञानिक डॉ. पी. पन्नीरसेल्वम एवं डॉ. सुनील कुमार के नेतृत्व में इरी–इफको सहयोगात्मक कार्यों पर एक तकनीकी प्रस्तुति दी गई, जिसमें संयुक्त अनुसंधान पहलों और फील्ड ट्रायल्स की जानकारी साझा की गई। इसके पश्चात एक संवादात्मक सत्र आयोजित हुआ, जिसमें किसानों ने नैनो-उर्वरकों के उपयोग से जुड़े अपने अनुभव और प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने आइसार्क की कृषि अनुसंधान सुविधाओं का अवलोकन किया, जिसमें आइसार्क में नैनो-उर्वरक प्रयोग, मैकेनाइजेशन हब तथा पुनर्योजी कृषि के प्रदर्शन प्लॉट शामिल थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी