बिजली दर संशोधन के लिए नियामक आयोग में हुई बैठक, बढ़ोत्तरी की संभावना कम

 


लखनऊ, 05 अगस्त (हि.स.)। बिजली दर संशोधन

के लिए नियामक आयोग में उपभोक्ता परिषद, राज्य सलाहकार समिति के साथ सोमवार को हुई

बैठक में विस्तृत चर्चा हुई। जहां एक तरफ बिजली कंपनियों ने बिजली दर बढ़ाने की मांग

की, वहीं उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में कमी करने के मुद्दे को तर्कसंगत ढंग से

आयोग के सामने रखा। अब बिजली दर का मुद्दा आयोग के पाले में चला गया है। उसी को निर्णय

लेना है। बैठक के आधार पर पूरी संभावना है कि बिजली दर में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के विद्युत

उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे सरप्लस पर विधिक तर्क रखे। उपभोक्ता

परिषद ने कहा कि उपभोक्ताओं का कुल लगभग 33122 करोड़ रुपये सरप्लस है। कानूनन टैरिफ पालिसी के तहत तीन साल में समायोजन

हो जाना चाहिए, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी इसका समायोजन नहीं हुआ।ऐसे में बिजली दर में कमी कर इसका समायोजन किया जाना चाहिए।

पावर काॅरपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक ने

कहा कि बिजली कंपनियों के पास राजस्व

का केवल दो साधन एक सरकारी सब्सिडी और दूसरा बिजली दर। ऐसे

में विद्युत नियामक आयोग वर्ष 2024- 25 के 11203

करोड़ के गैप के आधार पर खुद बिजली दरों

का निर्धारण कर दे। वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ता

परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर का मामला उठाया। कहा कि पावर

कॉरपोरेशन खुद 5 पैसे में एसएमएस भेजने का एग्रीमेंट करता है

और उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए रुपये10 प्रति मैसेज का प्रस्ताव

दे देता है।

विद्युत

नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार की अध्यक्षता में सदस्य संजय कुमार सिंह की

उपस्थिति में बैठक संपन्न हुई। इसमें अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेंद्र

भूषण, प्रबंध निदेशक पंकज कुमार, उत्तर

प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, नगर विकास सचिव अजय कुमार शुक्ला आदि प्रतिनिधि

उपस्थित थे।सर्वप्रथम विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली कंपनियों की तरफ से

दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2024 -25 पावर

ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन व यूपीएसएलडीसी सहित नोएडा पावर कंपनी की राजस्व आवश्यकता पर

एक प्रस्तुतीकरण सभी सदस्यों के सामने किया गया। विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष

अरविंद कुमार ने कहा कि सभी पक्षों को

सुन लिया गया है। अब बिजली दर को अंतिम रूप दिया जाएगा।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के तर्कों के

बाद आज की बैठक से यह तो सिद्ध हो गया कि उत्तर प्रदेश में बिजली दरें बढ़ने वाली नहीं है। अब विद्युत नियामक आयोग कमी कर उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर करता है अथवा

चार सालों की भांति इस वर्ष भी बिजली दरों को यथावत करके चुप हो जाता है इस पर

नूराकुस्ती चलेगी।

पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने कहा कलेक्शन

एफिशिएंसी वह लाइन हानिर्यो में सुधार हुआ है। बिजली

कंपनियों के पास केवल सरकार से मिलने वाली सब्सिडी व बिजली दर से तय किया गया

राजस्व ही दो स्रोत हैं। ऐसे में बिजली कंपनियों की तरफ से

वर्ष 2024-25 हेतु दाखिल राजस्व गैप 11203 करोड़ के एवज में आयोग उसकी प्रतिपूर्ति करने पर विचार करें यानी की दरों

में बढ़ोत्तरी करें।इसके बाद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से अपनी बात रखते

हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति

के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कंपनियों की पोल खोल के रख दी। कहा बिजली कंपनियों का गैप 11203 करोड़ का आंकड़ा

केवल दिखाने के लिए है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के मानक के

अनुसार जैसे इसका परीक्षण किया जाएगा। यह गैप समाप्त हो

जाएगा और उपभोक्ताओं का सरप्लस निकल आएगा। बिजली कंपनियां शायद यह भूल गई कि

वर्तमान में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का वर्ष 2017-18 के

अंत तक लगभग 13337 करोड़ का सरप्लस निकल रहा है और वर्ष 2021-22

में लगभग 6507 करोड़ का सरप्लस निकल रहा है और

वर्ष 2023-24 के बिजली दर के आदेश में 7988 करोड़ का सर प्लस निकल रहा है। कुल सर प्लस लगभग 27833

करोड़ है जब इसे कैरिंग कास्ट के साथ देखा जाएगा तो यह लगभग 33122

करोड़ के करीब पहुंचेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय / राजेश