जागरूकता ही एड्स से बचाव का सबसे प्रभावी माध्यम : जिलाधिकारी
कानपुर, 17 दिसंबर (हि.स.)। जागरूकता ही एड्स से बचाव का सबसे प्रभावी माध्यम है। सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य करें और एचआईवी से जुड़ी सही जानकारी आमजन तक पहुंचाएं। जांच, परामर्श और उपचार की सुविधाओं के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ाया जाए तथा समाज में व्याप्त लांछन और भेदभाव को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। यह बातें बुधवार को जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने कही।
एचआईवी-एड्स के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण और समय पर जांच व उपचार को मजबूत करने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट में “सुरक्षा से सम्पूर्ण सुरक्षा तक” कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद स्तरीय एडवोकेसी बैठक व संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने की।
कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. हरिदत्त नेमी एवं जिला क्षयरोग अधिकारी डा. सुबोध प्रकाश के नेतृत्व में किया गया। बैठक में जनपद के विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी तथा स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित रहे।
जिला क्षयरोग अधिकारी डा. सुबोध प्रकाश ने सुरक्षित व्यवहार अपनाने पर जोर देते हुए बताया कि समय पर जांच और नियमित उपचार से एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने 95-95-95 रणनीति के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर और समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता बताई।
बैठक में यूएचएम निदेशक डा. बीसी पाल, आईएमए अध्यक्ष डा. अनुराग मेहरोत्रा, सचिव डा. शालिनी मोहन, डफरिन एसआईसी डा. रूचि जैन, एसएसके प्रभारी डा. रिचा बाजपेई सहित अन्य चिकित्सकों ने एचआईवी-एड्स की रोकथाम, उपचार और जन-जागरूकता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।
भूतपूर्व संयुक्त निदेशक यूपीएसएसीएस डा. एके सिंघल तथा नोडल एआरटी डा. एमआर गौतम ने एचआईवी जांच, परामर्श और उपचार व्यवस्था को और सुदृढ़ करने पर अपने अनुभव साझा किए।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप