त्याग और दान दोनों बिल्कुल अलग होते हैं : समर्पण सागर
मुरादाबाद, 15 सितम्बर (हि.स.)। पर्यूषण पर्व के आठवें दिन रविवार काे पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर रामगंगा विहार में उत्तम त्याग धर्म के रूप में मनाया गया। समर्पण भवन में विराजमान बालयोगी गिरनार पीठाधीश्वर क्षुल्लक रत्न 105 समर्पण सागर ने उत्तम त्याग का मर्म समझाते हुए बताया कि त्याग का अर्थ केवल दान करने से नहीं है दान और त्याग में बहुत बड़ा अंतर है।
समर्पण सागर ने आगे बताया कि जैन विद्वानों ने कहा कि त्याग और दान दोनों बिल्कुल अलग होते हैं। दान कर्म है। दान करने से पुण्य का बंध होता है और दानी दान की गई वस्तु राशि आदि के पुन: प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहता है। वहीं, त्याग कर्म नहीं, धर्म है। त्याग के उपरांत उस वस्तु ,राशि अथवा किसी और के प्रति आसक्ति नहीं होती है। त्याग का अर्थ है कि आप माया,मोह, लोभ, कषाय व अहंकार आदि का त्याग कर जीवन को मोक्ष पथगामी बनाने का प्रयत्न करें।
श्रद्धालुओं द्वारा भगवान जिनेंद्र का मंगल जलाभिषेक किया गया। विश्व मंगल की कामना के साथ शान्तिधारा की गई। रात्रि में मंदिर जी में आरती तथा अन्य कार्यक्रम हुए। प्रश्न मंच कार्यक्रम के प्रायोजक बनने का परम सौभाग्य फूलमती जैन, संजय जैन, स्मिता जैन, अजय जैन, दीपाली जैन परिवार को प्राप्त हुआ। आज के भक्तामर दीप आराधना के पुण्यार्जक आशा जैन, नेहा जैन, धीरज जैन, नीरज जैन परिवार रहा।
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में व्यवस्थाओं में रामगंगा विहार जैन समाज के अध्यक्ष संदीप जैन, मंत्री नीरज जैन वरिष्ठ कार्यकर्ता सर्वोदय जैन, पवन कुमार जैन, अनुज जैन, अजय जैन, अंकुर जैन, राहुल जैन, विकास जैन, मोहित जैन, सुषमा जैन, उषा जैन, रजनी जैन, सजल जैन, ऋतु जैन, अंजलि जैन, शिवानी जैन आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जयसवाल