गंगा समग्र नदियों को लोकमाता और तटों को तीर्थस्वरूप बनाने के लिए संकल्पित: रामाशीष
वाराणसी, 17 दिसम्बर (हि.स.)। गंगा समग्र नदियों को लोक माता एवं तटों को तीर्थस्वरूप की प्रतिष्ठा प्रदान करने के ध्येय के लिए संकल्पित है। ये उद्गार समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष के है। वे रविवार को लोहता स्थित माधव सेवा प्रकल्प पर समग्र के दो दिवसीय राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि गंगा माता मोक्ष प्रदायिनी, जीवन दायिनी के साथ ही हमारी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान भी हैं। यह हर भरतवंशी के जीवन में रची बसी है। गंगा की घाटी दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाली नदी घाटी मानी जाती है। भारत देश की कुल आबादी का लगभग आधा भाग इससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पोषित है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से गंगा जी आज विश्व की दस सबसे अधिक प्रदूषित नदियों में शुमार हैं। इसमें हजारों टन औद्योगिक कचरा, सीवरेज, रसायन और कीटनाशक रोज जा रहे हैं। इससे गंगा जी का दम घुट रहा है। गंगा की इस दशा के साथ ही एक सभ्यता के खत्म होने का संकट पैदा हो गया है। इन्हीं चिंताओं के फलस्वरूप गंगा समग्र का उदय हुआ है।
गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि मां गंगा पर आश्रित परिवारों विशेषरूप से तीर्थ पुरोहित, नाविक एवं घाटों पर विभिन्न सामग्रियों का विक्रय करने वाले विक्रताओं को ध्यान में रखकर हमें कार्य करना होगा, क्योंकि यह वर्ग अधिकांश समय मां गंगा के सम्मुख रहता है। इनके भाव को जागरूक करके हम मां गंगा के स्वच्छता व पवित्रता को नियमित और निरन्तर रख सकते हैं।
संयुक्त महामंत्री ललित कपूर ने कहा कि गंगा समग्र के कार्य एवं विचार का प्रसार होने से समाज में जागरूकता आएगी। साथ ही लघु फिल्म के माध्यम से भी जागरूकता का वातावरण तैयार करना होगा। वर्ग में कुल 08 प्रान्तों के 82 प्रतिनिधियों ने सहभाग किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रान्त प्रचारक रमेश, राष्ट्रीय गंगा आश्रित प्रमुख अमिताभ उपाध्याय, राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख अरुण सिंह, राष्ट्रीय सह प्रचार प्रमुख अम्बरीष कुमार, प्रान्त संयोजक अजय मिश्रा, दिवाकर द्विवेदी, अभिषेक श्रीवास्तव आदि शामिल रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश