चैत्र नवरात्र : कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजे से 10:23 बजे तक

 










मुरादाबाद, 08 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्र 09 अप्रैल को चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर प्रारंभ होंगे। नवरात्र के प्रथम दिन ही लोग कलश स्थापना करते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:11 बजे से पूर्वाह्न 10:23 बजे तक है।

शर्मा ने बताया कि घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से अपराह्न 12:54 बजे तक है। इस अभिजित मुहूर्त में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि नवरात्र में नौ दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और लोग उपवास भी रखते हैं। नौ अप्रैल से चैत्र नवरात्र शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा। इस बार चैत्र नवरात्र में अबकी बार पांच दिव्य राजयोग का महासंयोग बना हुआ है। नवरात्र का आरंभ इस बार ऐसे संयोग में होगा जब गजकेसरी योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश राज योग, बुधादित्य योग और मालव्य राजयोग एक साथ बन रहे हैं। इन पांच राजयोग के अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग भी बना है। इन सभी शुभ संयोग के बीच नवरात्र के 09 दिन मां भगवती की आराधना होगी। इस बार माता घोड़े पर सवार होकर आएंगी और समापन 17 अप्रैल दिन बुधवार को होने से माता के प्रस्थान की सवारी गज (हाथी) होगी। माता का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना शुभ संकेत होता है। यह अच्छी बारिश, खुशहाली और तरक्की का संकेत देता है।

पंडित सुरेंद्र शर्मा ने आगे बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार नौ अप्रैल को मंगलवार के दिन नए हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हो रही है। मंगलवार के दिन नए विक्रम संवत की शुरुआत हो रही है। इसलिए इस विक्रम संवत के स्वामी मंगल होंगे।

आगे उन्होंने बताया कि विक्रम संवत के स्वामी मंगल होने की वजह से हिंदू नव वर्ष काफी आक्रामक भी होने वाला है क्योंकि मंगल साहस, पराक्रम, सेना, प्रशासन, सिद्धांत आदि के कारक ग्रह हैं। राजा मंगल और शनि मंत्री होने की वजह से यह वर्ष काफी उथल-पुथल वाला रहेगा और शासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगा। साथ ही देश दुनिया में ऐसी कई घटनाएं हो सकती हैं जिससे सभी हैरान हो सकते हैं। नए विक्रम संवत 2081 का नाम क्रोधी रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित/दीपक/दिलीप