हिट एंड रन कानून में संशोधन से आहत हैं ट्रक चालक
झांसी, 01 जनवरी(हि.स.)। ठंड की ठिठुरन और भगवान भाष्कर के पिछले कई दिनों से अंतर्ध्यान होने से आम जनजीवन अस्त व्यस्त है। इसी दौरान आंग्ल नववर्ष के प्रथम दिवस ही शिवपुरी-कोटा हाईवे पर सैकड़ों ट्रकों ने कई किलोमीटर तक घंटों तक चक्का जाम कर दिया। आवागमन ठप हो जाने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। तो वहीं ट्रक चालक संशोधित हिट एंड रन कानून का विरोध करते नजर आए। हालांकि इस संबंध में एआईएमटीसी का भी बयान आया है।
गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा चक्काजाम किया जा रहा है। इसका असर मुंबई से लेकर तमाम राज्यों में खानपान और अन्य सेवाओं की सप्लाई पर भी पड़ना शुरू हो गया है।
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा सड़क हादसों पर नियंत्रण करने के लिए हिट एंड रन कानून में बदलाव किया जा रहा है। इंडियन पीनल कोड, 2023 में हुए संशोधन के बाद हिट ऐंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवरों की सजा को और कड़ा किया जा रहा है। दोष साबित होने के बाद 7 लाख रुपये तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है। इस संशोधन का ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने विरोध किया है। एआईएमटीसी की कोर कमिटी के चेयरमैन बल मिल्कित सिंह ने अपने बयान में कहा कि संशोधन पर पुनर्विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कई सांसदों को पत्र लिखा है। कानून वापस नहीं लिया गया, तो विरोध तेज करने के लिए 02 जनवरी को बैठक की जाएगी।
क्यों है ट्रक चालकों को परेशानी
हिट एंड रन केस में दस साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। एआईएमटीसी के अनुसार, कानून में संशोधन से पहले स्टेक होल्डर्स से सुझाव नहीं लिए गए, प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। आंकड़ों के अनुसार पहले से ही 27 प्रतिशत ड्राइवरों की कमी है। इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान रोड ट्रांसपोटर्स और ड्राइवरों का है।
एआईएमटीसी का कहना है कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। इसके कारण मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती और ड्राइवर को दोषी करार दिया जाता है। दुर्घटनास्थल से भागने की किसी ड्राइवर की मंशा नहीं होती है, लेकिन आसपास जमा भीड़ से बचने के लिए ऐसा करना पड़ता है।
पहले क्या था और अब क्या होगा
अभी हिट एंड रन केस को आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304 ए (लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है। विशेष केस में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ दी जाती है।
संशोधन के बाद सेक्शन 104 (2) के तहत हिट ऐंड रन की घटना के बाद यदि कोई आरोपी घटनास्थल से भाग जाता है। पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचित नहीं करता है, तो उसे दस साल तक की सजा भुगतनी होगी और जुर्माना देना होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश