स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि की 28वीं पुण्यतिथि पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि

 


प्रयागराज, 25 अगस्त (हि.स.)। झूंसी स्थित श्री परमानन्द आश्रम ट्रस्ट के ब्रह्मलीन महंत सन्त शिरोमणि श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्री 108 स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि महाराज की 28वीं पुण्यतिथि रविवार को उत्साह पूर्वक मनायी गयी। कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न प्रान्तों एवं स्थानीय दूर दराज के क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम के दौरान आयोजित श्रद्धांजलि सभा में आश्रम के संतों, वेद एवं संस्कृत अध्यापकों, छात्रों ने वैदिक विधि विधान से पूजन और श्रीसूक्त एवं पुरूषसूक्त का पाठ कर विभिन्न वेद शाखाओं का मंत्रोच्चार किया। इस अवसर पर आश्रम स्थित श्री गंगेश्वर महादेव का रूद्राभिषेक किया गया और विशाल भण्डारे में सभी भक्तगण, स्थानीय निवासी प्रसाद ग्रहण किये।

आश्रम की मंत्री डॉ. कनक द्विवेदी ने कहा कि गहन ज्ञान हम सभी के जीवन के विभिन्न पहलुओं का मार्गदर्शन करता है। स्वामीजी की शाश्वत शिक्षाएं समाज को सद्गुण और अखंडता पर ध्यान केंद्रित करने, सद्भाव और मेधाशक्ति को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं। वे हमेशा अध्ययन-अध्यापन पर जोर देते थे। उनकी प्रेरणा से ही आश्रम परिसर में वेद विद्यालय की स्थापना हुई जो आज सफलता पूर्वक संचालित हो रहा है और यहां से पढ़कर वेद छात्रों ने देश के अलग-अलग प्रांतों में अपना लोहा मनवाया है। उनके द्वारा समर्थित सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाकर उनके दृष्टिकोण को पूरा करने का संकल्प लेना ही स्वामीजी को सही अर्थों में श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने बताया कि उनका वात्सल्य सदा आश्रम आने वाले सभी भक्तों को समान रूप से मिलता रहा। उनका पूरा जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है।

श्री परमानन्द आश्रम ट्रस्ट के श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर परिसर में बैठक की गई। जिसमें आश्रम की उच्चतर विकास के लिये चर्चा परिचर्चा की गयी। इस अवसर पर आश्रम के समस्त ट्रस्टीगण डॉ. कनक द्विवेदी, चाँदरतन लाखोटिया, मोहन ब्रह्मचारी, रतन शर्मा, महेन्द्र पुरोहित, रामावतार अग्रवाल, सुरेश पोद्दार, ब्रजमोहन पाण्डेय, अविनाश ओझा, अजय मिश्र, खिमलाल न्यौपाने, गौरवचन्द्र जोशी, शिवानन्द द्विवेदी, कृष्ण कुमार मिश्र, अंजनी कुमार सिंह, अवनि कुमार सिंह, अंजनी कुमार उपाध्याय, रजनीकान्त एवं छात्रगण उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / बृजनंदन यादव