वृक्ष हमारी धरती के आभूषण हैं: प्रभागीय वनाधिकारी
- जनपद में 9572760 पौधारोपण के मिशन को सफल बनाएं जाने के लिए बच्चों से की अपील
झांसी,22 अप्रैल (हि.स.)। पृथ्वी दिवस पर प्रकृति के उपकारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पुनीत अवसर है। प्राकृतिक संसाधनों को समृद्धि करने एवं भावी पीढ़ी को संतुलित पर्यावरण उपलब्ध कराने के लिए वृहद स्तर पर वृक्षारोपण अपरिहार्य है। उक्त विचार प्रभागीय वनाधिकारी जीबी शेंडे ने ब्लू वेल्स पब्लिक स्कूल में आम्रपाली आम के पौधे का रोपण कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर आज हम सभी यह संकल्प लें कि पृथ्वी हम सबकी जान आओ करें इसका सम्मान। यदि हमें एक अच्छा और निरोगी जीवन चाहिए तो हमें वृक्षारोपण के साथ-साथ अपने बच्चों की तरह ही इन पेड़-पौधों की देखभाल एवं पालन पोषण करना होगा। प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि वृक्ष हमारी धरती के आभूषण हैं, इनका रोपण धरती के प्रति हमारा समर्पण है।
उन्होंने बताया कि बढ़ती हुई जलवायु परिवर्तन में पौधों का रोपण अत्यन्त महत्वपूर्ण है इसकी महत्ता को बच्चों एवं जनमानस में प्रसार हेतु पंचतंत्र कहानियों का प्रयोग वन परिसरों में किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वन विभाग के सहयोग से जनपद एवं विद्यालय प्रांगण में पंचतंत्र की कहानियों पर आधारित पंचतंत्र वाटिका स्थापित की जाए। उन्होंने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर उपस्थित स्कूली छात्र छात्राओं सहित जनसामान्य से आह्वान किया कि प्रत्येक नागरिक कम से कम केवल 05 पौधों का रोपण तो करें ही साथ ही उन पौधों की समुचित देखभाल भी करें, ताकि प्रदेश के वन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो सके। इस कार्य में उन्होेंने बच्चों, युवाओं और जनपदवासियों से आगामी वृक्षारोपण कार्यक्रम को पूर्ण रूप से सफल बनाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की और कहा कि इस कार्य में प्रत्येक विद्यालय परिसर में अवश्य पौधारोपण करें और इसकी सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम करे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागीय वनाधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से पूरे भारत में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर जगह-जगह जल संरक्षण की दृष्टि से अमृत तालाब बनाये जा रहे हैं और जल बचाने की मुहिम के साथ-साथ सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के लिए कई प्रभावी योजनाएं संचालित की गयी हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल के बच्चों को प्रारम्भ से ही प्रकृति से जोड़ने के लिए छोटे-छोटे पर्यावरण गीतों एवं कविताओं की रचना कर उन्हें स्कूलों में बांटा जाय, ताकि बच्चे उन्हें सीख सकें। कार्यक्रम का संचालन अमित शर्मा वन दरोगा द्वारा किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/मोहित