स्पर्श चिकित्सा बिना धन खर्च किए स्वस्थ रहने की पद्धति : सतीश राय
- भारत में सदियों पुरानी स्पर्श चिकित्सा हमारे ऋषि मुनियों की धरोहर
प्रयागराज, 28 दिसंबर (हि.स.)। अनियमित जीवन शैली और खानपान बदलने के कारण शरीर में तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही है। बीमारियों से निजात पाने के लिए लोग विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को आजमा रहे हैं। जबकि भारत में सदियों पुरानी स्पर्श चिकित्सा हमारे ऋषि मुनियों की धरोहर है।
यह बातें रविवार को एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान की ओर से प्रयागराज रेकी सेंटर पर स्पर्श चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने कही।
उन्होंने बताया कि हमारे प्राचीन ग्रंथ जिसमें प्राकृतिक उपचार के रूप में सूर्य चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा, अग्नि चिकित्सा, वायु चिकित्सा, जल चिकित्सा के साथ-साथ स्पर्श चिकित्सा का भी उल्लेख मिलता है। उन्होंने बताया कि स्पर्श चिकित्सा के प्रमाण अथर्ववेद में मिलते हैं। इसमें स्पर्श विधि से ब्रह्मांडीय प्राण शक्ति द्वारा रोगों के चिकित्सा की अनोखी रीति है। बिना खर्च किए प्राण ऊर्जा के माध्यम से दर्द, डिप्रेशन, स्ट्रेस को दूर करने की इसमें असीम शक्तियां हैं। इसके अतिरिक्त यह व्यक्ति को इमोशनली स्ट्रांग बनाने में चमत्कार की तरह कार्य करती है। बिना दवा के घुटनों का दर्द, कमर दर्द, पैर दर्द, अनिद्रा से परेशान लोगों को स्पर्श शक्ति उपचार से फायदा होता है। स्पर्श चिकित्सा सबसे सस्ती सरल और दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धति यहां के सभ्यता और भारतीय पद्धति के पूर्णतया अनुकूल है।
स्पर्श मात्र से दूर होता है दर्दसतीश राय ने कहा कि भारत में चिकित्सा व्यवस्था काफी महंगी है तथा नित्य नई-नई बीमारियों से लोग त्रस्त रहते हैं। पैसे के अभाव में वें पूर्ण रूप से इलाज नहीं करा पाते। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है प्राकृतिक उपचार में स्पर्श चिकित्सा। यह स्पर्श मात्र से साध्य एवं असाध्य रोगों की अद्भुत चिकित्सा पद्धति है।
स्पर्श चिकित्सा एक ऊर्जा आधारित पारम्परिक पद्धति है, जिसका उद्देश्य शरीर में ऊर्जा के स्तर को संतुलित कर बीमारी को दूर करना, शरीर में दर्द के स्तर को कम करना और बिना कोई धन खर्च किए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। इस प्रोग्राम में स्थानीय लोगों के अतिरिक्त मध्य प्रदेश के छोटू काछी, डॉ अरविंद कुमार लोधी, प्रदीप गुप्ता आदि ने भाग लेकर लाभ उठाया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र