एनएसआई में चीनी मिलों व आसवनी इकाइयों में प्रदूषण नियंत्रण तकनीक पर प्रशिक्षण शुरू

 


कानपुर, 12 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर एवं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार से 14 मार्च तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। चीनी मिलों और आसवनी इकाइयों में प्रदूषण नियंत्रण के लिये मौजूद उपयोगी और उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीकें विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुरूआत मुख्य अतिथि एवं संस्थान के पूर्व निदेशक एस.के. मित्रा ने दीप प्रज्जवलन व मां शारदा को माल्यार्पण कर किया।

कार्यक्रम की समन्वयक एवं जैव रसायन विभाग प्रमुख प्रो. (डॉ.) सीमा परोहा, आचार्य जैव रसायन ने प्रशिक्षण के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से आये वरिष्ठ वैज्ञानिकों, सुप्रसिद्ध पर्यावरणवेत्ताओं एवं व्याख्यानदाताओं का स्वागत करते हुये प्रशिक्षण कार्यक्रम के मूल विषय वस्तु (थीम) पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुये संस्थान के निदेशक प्रो. डी. स्वाईन ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से पर्यावरणीय संरक्षण को ध्यान में रखते हुये तैयार किया गया है। साथ ही वर्तमान परिदृश्य में शर्करा एवं इथेनाल के उत्पादन में आने वाली चुनौतियों के संबंध में चर्चा की। उन्होंने विभिन्न इकाइयों में आपरेशन के दौरान उत्पन्न होने वाले विविध प्रदूषकों पर नियंत्रण एवं शमन हेतु उपलब्ध आधुनिक तकनीकों के बारे में से विस्तार से अवगत करवाया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों और अधिकारियों से आहवान किया कि वे उपलब्ध आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल हेतु मिलों और आसवनियों को जागरूक करें, जिससे जीवनदायी वायु, जल और प्रकृति के अन्य घटकों की रक्षा की जा सके।

संस्थान के वरिष्ठ सहायक आचार्य शर्करा शिल्प शैलेन्द्र कुमार त्रिवेदी ने अपने उद्बोधन में प्लांटेशन व्हाइट शुगर एवं रिफाइंड शुगर उत्पादन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकार। दी।

संस्थान के सहायक आचार्य शर्करा अभियांत्रिकी अनूप कुमार कनौजिया ने चीनी मिलों के लिये केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी नवीनतम चार्टर 2.0 पर प्रकाश डालते हुये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दायित्वों की चर्चा की।

कनिष्ठ तकनीकी अधिकारी महेन्द्र कुमार यादव ने चीनी मिलों में अपशिष्ट प्रबंधन की नवीनतम तकनीकों को अपनाये जाने पर जोर देते हुये कहा कि समय की मांग है कि चीनी मिलों को अपनी वर्तमान कार्यप्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किया जाना नितांत आवश्यक है।

अपने व्यख्यान में विवेक प्रताप सिंह, कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ने इफलुयेंट ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न उपकरणों की क्षमताओं, उसकी कार्यप्रणाली और चीनी मिलों के आपरेशन पर सारगर्भित जानकारी दी।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिये देश के विभिन्न प्रांतों से आये वरिष्ठ वैज्ञानिकों, सुप्रसिद्ध पर्यावरणवेत्ताओं एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले संस्थान के विषय विशेष विशेषज्ञ व्याख्यानदाताओं एवं कार्यक्रम से जुड़े हर सदस्य को डॉ. अनंत लक्ष्मी रंगनाथन, सहायक आचार्य जैव रसायन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

हिन्दुस्थान समाचार/अवनीश/मोहित