बीएचयू में तीन दिवसीय अंतर राष्ट्रीय सेमिनार का समापन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर मंथन
-40 विश्वविद्यालयों से 80 शोध पत्र पढ़े गए, एआई के भविष्य पर मंथन
वाराणसी, 03 दिसम्बर (हि.स.)। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति केजी सुरेश ने कहा कि वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता- एआई) मोबाइल उपकरणों और इंटरनेट के माध्यम से हमारे दैनिक जीवन में आ गई है। सरकारें और व्यवसाय, व्यावसायिक समस्याओं को हल करने और कई व्यावसायिक प्रक्रियाओं, विशेषकर ऑनलाइन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए एआई टूल और तकनीकों का तेजी से उपयोग कर रहीं हैं।
कुलपति केजी सुरेश रविवार को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। बीएचयू के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग की ओर से आयोजित सेमिनार में कुलपति केजी सुरेश ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि कंप्यूटिंग और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में प्रगति का हमारे जीवन, व्यवसायों और सामाजिक जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसने हमारी दैनिक दिनचर्या को प्रभावित किया है, जैसे मोबाइल उपकरणों का उपयोग करना और सोशल मीडिया पर सक्रिय भागीदारी। एआई सिस्टम सबसे प्रभावशाली डिजिटल प्रौद्योगिकियां हैं। एआई सिस्टम के साथ, व्यवसाय बड़े डेटा सेट को संभालने और संचालन के लिए त्वरित आवश्यक इनपुट प्रदान करने में सक्षम हैं।
समापन सत्र में मुख्य वक्ता इनमोबी ग्रुप की ग्लोबल सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ शुभी चतुर्वेदी ने कहा कि तकनीकी प्रगति के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे जीवन और सामाजिक संबंधों को आकार देता है। ऐसे कई एआई एप्लिकेशन हैं जो विशेष रूप से व्यक्तियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए विकसित किए गए हैं, जैसे मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आदि। डॉ शुभी ने कहा कि हम अपनी गतिविधियों को बुद्धिमान अनुप्रयोगों, जैसे व्यक्तिगत सहायक, बुद्धिमान पहनने योग्य डिवाइस और अन्य अनुप्रयोगों के माध्यम से सौंप रहे हैं। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के कुलपति साकेत कुशवाहा ने कहा कि बुद्धिमान मशीनें (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी) कई क्षेत्रों में मानवीय क्षमताओं की जगह ले लेंगी या उन्हें बढ़ा देंगी। कंप्यूटर विज्ञान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक लोकप्रिय क्षेत्र बनता जा रहा है क्योंकि इसने इंसानों को उन्नत किया है। शिक्षा, इंजीनियरिंग, व्यवसाय, चिकित्सा, मौसम पूर्वानुमान आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जटिल समस्याओं को हल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के अनुप्रयोग क्षेत्र जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव डाल रहे हैं। सेमिनार में कुल 40 विश्वविद्यालयों से 80 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन सेमिनार संयोजक डॉ बाला लखेंद्र और धन्यवाद ज्ञापन विभाग की अध्यक्ष डॉ शोभना नेरलिकर ने किया।
-पांच सत्रों में चला सेमिनार
सेमिनार के कुल पांच सत्रों में विशेषज्ञ व मुख्य वक्ता के तौर पर बांग्लादेश लिबरल आर्ट्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जुडे विलियम जेनेलियो, अरुणाचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीएन शर्मा,मास्को यूनिवर्सिटी से प्रो. अन्ना ग्लाडकोवा, ओहायो विश्वविद्यालय अमेरिका से प्रो. जतिन श्रीवास्तवा, स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र भारतीय उच्चायोग निदेशक प्रो. अंकुरण दत्त, भारती विद्या संस्थान के निदेशक प्रो. एम एन होदा, प्रो. मनोज दयाल, प्रो. अनुराग दवे, तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय से प्रो. अभिजीत बोरा, प्रो. उत्तम पेगू, डॉ ज्ञान प्रकाश मिश्रा, प्रो. उमाशंकर पांडेय आदि ने छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। संगोष्ठी में अमेरिका, रूस, बांग्लादेश, श्रीलंका, मॉरीशस, नेपाल, दोहा आदि देशों के दर्जनों शोध छात्रों ने भी भागीदारी की।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश