नरेन्द्र मोदी को मिलना चाहिए विश्वरत्न : पं० जगदंबा प्रसाद

 


अमेठी,09 मार्च (हि.स.)। अमेठी जिले के 92 वर्षीय वयोवृद्ध शिक्षा एवं समाजसेवी के साथ-साथ प्रकांड विद्वान पंडित जगदंबा प्रसाद त्रिपाठी मनीषी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्वरत्न दिए जाने की मांग उठाई है।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की पूरे राष्ट्र को जरूरत है। जैसे भारत रत्न राजीव गांधी सहित तमाम लोगों को मिला है। वैसे ही पूरे विश्व में अगर विश्वरत्न मिलना हो तो वह नरेंद्र मोदी को मिलना चाहिए। क्योंकि यह पूरे भारत के नहीं बल्कि समूचे विश्व के नेता हो गए हैं। मोदी जी वसुधैव कुटुंबकम की राह पर चल रहे हैं। श्रीमद्भगवत गीता को अपने आचरण में उतार रहे हैं। इसलिए जो नरेंद्र मोदी से जुड़ा है वह अपने में धन्य है।

अमेठी जनपद मुख्यालय गौरीगंज में इंदिरा गांधी और संजय गांधी के नाम सहित अन्य नामों से लगभग आधा दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थानों के संस्थापक पंडित जगदंबा प्रसाद त्रिपाठी मनीषी ने आगे बोलते हुए राहुल गांधी के विषय में कहा कि अमेठी से अगर राहुल गांधी चुनाव लड़ते हैं तो वह भूल करेंगे। क्योंकि अमेठी से वह टक्कर दे सकते हैं किंतु उनको जीतना नहीं है। अमेठी में राहुल गांधी 15 सालों तक सांसद रहे किंतु कभी लोगों के सुख-दुख में सम्मिलित नहीं हुए। वहीं पर स्मृति ईरानी ने वर्ष 2014 में चुनाव हारने के बाद भी लगातार अमेठी से अपना संपर्क बनाए रखा। जब 2019 में वह चुनाव जीती हैं उसके बाद वह लोगों के दुख—सुख में शामिल होती रही। उन्होंने अमेठी में अपना आवास भी बना लिया। ऐसे में अगर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ते हैं तो उनके लिए अच्छा नहीं होगा। क्योंकि उनकी इज्जत दांव पर लग जाएगी। वायनाड से लड़ रहे हैं वहां से ठीक है। क्योंकि जो एक नेता और जनप्रतिनिधि में गुण होने चाहिए वह राहुल गांधी में नहीं है। वह सिर्फ बड़े बाप के बेटे हैं बस इतना ही है।

उन्होंने कहा कि वह राजीव गांधी के बेटे हैं किंतु राजीव गांधी में जो गुण थे वह राहुल गांधी में संक्रमित नहीं हो पाए। अमेठी कांग्रेस का गढ़ था उसी का फायदा राहुल गांधी को मिला। शुरू में संजय गांधी थे। संजय गांधी तुनक मिजाजी भले ही थे, लेकिन वह जो वादा करते थे उसे पर हमेशा दृढ़ निश्चय रहा करते थे। उसके बाद राजीव गांधी अमेठी से सांसद हुए तत्पश्चात राहुल गांधी। उनको सही मायने में पूरी अमेठी की जानकारी भी नहीं है। दक्षिण भारत एक तरह से कांग्रेस का अब भी गढ़ है। इसलिए राहुल गांधी ने अपनी सीट वहां पर सुरक्षित कर लिया है। अमेठी के बारे में वह स्वयं उहापोह में है। जीतेंगे या फिर हारेंगे ऐसे में लड़े या ना लड़े। अमेठी के लोगों पर राहुल गांधी को बहुत विश्वास नहीं रह गया। भले ही अमेठी के लोग कह रहे हैं लेकिन वह उनकी संख्या आखिर कितनी है वह पूरे अमेठी की जनमानस नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार/लोकेश त्रिपाठी/राजेश