भारत के भविष्य का चिंतन करना शिक्षण संस्थाओं का भी काम : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ, 15 फरवरी (हि.स.)। आजादी का अमृत महोत्सव हर्षोल्लाष से सम्पन्न करने के बाद आज देश अमृत काल में प्रवेश कर गया। हमारा कैसा भारत हो, उस तरह के भारत के लिए हमारे स्तर पर क्या प्रयास होगा। हर व्यक्ति क्या भूमिका होनी चाहिए। इस पर विचार सभी को करना चाहिए। यह कार्य शिक्षण संस्थाओं, व्यक्तियों सभी का है।
ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही। वह गुरुवार को विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नेतृत्व समागम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। यह कार्यक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपने कर्तव्य को समझ सके तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को कोई रोक नहीं सकता। लीडरशीप बदलने से कैसे बदलाव का अनुभव किया जा सकता है। इसे 2014 के पहले का भारत और बाद के भारत को देखकर अनुभव किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पहले सीमाएं असुरक्षित थी। दुनिया के अंदर भारत के पासपोर्ट की कोई कीमत नहीं थी। आज एक नेतृत्व ऐसा है, जो दुनिया के अंदर भारत के गौरव को पुन: स्थापित करता है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आने के बाद देखा जा सकता है। आज दुनिया के किसी भी देश में जाते हैं तो हमें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हम सभी को पंच प्रण दिये थे। उसको हमें अपने जीवन का हिस्सा बना लेने का था। यह समागम है। इसके माध्यम से हम सभी को सोचना होगा। कभी दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान भारत में हुआ करते थे। आज न जाने कितने युग बित चुके हैं, लेकिन आज भी हम उसके वाहक बने हुए हैं। हमारे पुराणों, शास्त्रों के माध्यम से आज मौजूद है। हमने अपने पुराने युग को कहीं न कहीं रोक दिया और हमने विदेशी ताकतों की ओर देखा। यह गुलामी मानसिकता को बढवा दिया। आज हमें पुरानी परंपरा और अपनी धरोहर की ओर बढ़ना होगा। यह शिक्षण संस्थाओं का भी दायित्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम क्या सिर्फ सर्टिफिकेट देने तक अपने को सीमित कर लिये। हमें शोध, नई परिपाटी को भी आगे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। सरकार के कार्यक्रम लोकहित के लिए होते हैं। पालिसी से जुड़े मुद़दे होते हैं। हमारा युवा उससे जुड़ेगा नहीं, तब तक उसको बाहरी दुनिया का ज्ञान नहीं होगा। यही कारण है कि शिक्षण संस्थान से बाहर आता है तो वह भटकता है।
उन्होंने कहा कि यह समागम है, उस विद्यार्थी के भटकाव को दूर करने का। इसमें इस पर विचार होना चाहिए कि शिक्षण संस्थान में रहते हुए विद्यार्थी बाहरी दुनिया से समागम कर सके। उसकी सभी चीजों को समझकर बाहर निकले। वह बाहर निकलने पर भटके नहीं। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, राष्ट्रीय अध्यक्ष विद्दयाभारती उच्च शिक्षण संस्थान कैलाश चंद्र चौहान, लखनऊ विवि के कुलपति प्रो. आलोक राय आदि मंच पर मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/पदुम नारायण