षड्यंत्र पूर्वक स्वच्छंदता का प्रवेश भारतीय नारियों के मन में पश्चिम ने कराया: साध्वी ऋतम्भरा

 




संस्कृति संसद में बोली साध्वी- भारतीय स्त्रियां ही धर्म एवं यज्ञ का आधार

वाराणसी, 04 नवम्बर (हि.स.)। राष्ट्रवादी विचारक और श्रीराममन्दिर मुक्ति आंदोलन की प्रेरक साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि पश्चिम की स्त्रियों में संस्कार नहीं होने से उनके आचरण का आधार स्वच्छंदता है। इसके विपरित भारतीय स्त्री, संस्कार की धुरि और राष्ट्र की रक्षिका है। साध्वी ऋतम्भरा शनिवार को सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित 'संस्कृति संसद' को सम्बोधित कर रही थी।

'संस्कृति संसद' के दूसरे दिन सनातन हिन्दू धर्म की मातृ केन्द्रित व्यवस्था, विभिन्न मजहबों में नारी एवं भारतीय विदुषी साधिकाएं विषयक सत्र में साध्वी ने कहा कि पश्चिम ने षड्यंत्र पूर्वक स्वच्छंदता का प्रवेश भारतीय नारियों के मन में कराकर उन्हें परम्पराविमुख बनाने का प्रयास किया। पश्चिमी षड्यंत्रकारी भारतीय नारी के मन से संस्कार मिटाकर भारत को तोड़ने का प्रयास निरन्तर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय स्त्रियाँ समर्पण की प्रतिमूर्ति हैं। इसी के अंतर्गत स्त्रियां के बाद पिता का गोत्र छोड़कर पति का गोत्र वरण करती हैं। स्त्रियां ही धर्म एवं यज्ञ का आधार हैं। शिवाजी और विवेकानन्द को जो संस्कार उनकी माता ने दिया, वहीं वे बने।

सत्र में भारतीय महिला पहलवान बबिता फोगाट ने कहा कि सनातन का अर्थ निरन्तर चलने वाला प्रवाह है, यह कभी मिटता नहीं। सनातन का आधार प्रकृति एवं परिवार है। सनातन का लक्ष्य जोड़ना है न कि तोड़ना। उन्होंने कहा कि भारतीय नारी के लिए आजादी का अभिप्राय छोटे वस्त्र पहनना नहीं, वरन् आत्मनिर्भर बनना है। स्त्री अपने व्यवहार से पूरे परिवार में संस्कार सिखाती है।

कार्यक्रम में लेखिका मधु किश्वर ने कहा कि इस्लामी हमलावरों ने भारतीय स्त्रियों को हवस का शिकार बनाया तथा ईसाई मिशनरियों ने उसे परिवार के विरुद्ध स्वच्छंदता के लिए उकसाया। ईसाई समाज में अब भी स्त्रियों को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं है। इस्लाम में अब भी समानता के लिए महिलाएं संघर्ष कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर इस्लामिक महिलाओं को अधिकार दिलाने सराहनीय प्रयास किया।

केरल के पद्मनाभ मन्दिर की प्रमुख महारानी लक्ष्मी गौरी बाई ने कहा कि सनातन धर्म में स्त्री का स्थान प्रमुख है। भारतीय धर्म में नारी को आदरपूर्ण स्थान दिया गया है। परिवार में स्त्री का स्थान प्रमुख है। इस सत्र का संचालन भक्ति किरण शास्त्री ने किया।

सत्र में जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी राजराजेश्वराचार्य, महंत बालकदास, विष्णुशंकर जैन, लक्ष्मण राव आचार्य, रविन्द्रपुरी महाराज, राधे-राधे बाबा, महामंडलेश्वर चिदम्बरानन्द सरस्वती, महामंडलेश्वर परमात्मानन्द, ज्योत्सना गर्ग, काजल हिन्दुस्तानी आदि की उपस्थिति रही।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश