जैन तीर्थंकर चंद्र प्रभु की जन्मस्थली चंद्रावती के विकास के लिए सरकार संजीदा

 


— पर्यटन विकास एवं घाट का निर्माण कार्य 1978 लाख की लागत से पर्यटन विभाग करा रहा

वाराणसी, 22 अप्रैल (हि.स.)। वाराणसी में जैन तीर्थंकर चंद्र प्रभु की जन्मस्थली चंद्रावती के विकास के लिए प्रदेश की योगी सरकार संजीदा है। पर्यटन विभाग चंद्रावती का पर्यटन विकास एवं घाट का निर्माण कार्य 1978.09 लाख की लागत से करा रही है। इसमें मंदिर का पर्यटन विकास कार्य, घाट का निर्माण, पाथ-वे का निर्माण एवं हाई मास्ट लाइट आदि कार्य परिसर में कराये जा रहे हैं।

गंगा किनारे चंद्रावती में आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु स्वामी ने जन्म लिया था। यहां जैन धर्म के दिगम्बर और श्वेतांबर पंथ के मंदिर स्थित है। मंदिर की वेदी में तीर्थंकर चंद्रप्रभु की श्वेत पाषाण की पद्मासन मुद्रा में प्रतिमा है। यहां देश-विदेश के जैन श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं। इस तीर्थ का उल्लेख आचार्य जैन प्रभु सूरीश्वर द्वारा लिखित विविध तीर्थ कल्प, जैन शास्त्रों और कई तीर्थंकरों में मिलता है। यहां तीर्थयात्री भगवान की आराधना में लीन होकर आत्मिक शान्ति का अनुभव करते है । यहां गंगा की कटान की वजह से यह तीर्थ काफी समय ये बदहाल पड़ा रहा। है। वर्तमान योगी सरकार ने इसकी सुध ली है।

गौरतलब हो कि आठवें तीर्थंकर चंद्र प्रभु का जन्म भी पौष कृष्ण एकादशी को ही राजघराने में हुआ था। इनके माता पिता बनने का सौभाग्य चंद्रावती के महाराजा महासेन और लक्ष्मणा देवी को मिला। भगवान चन्द्रप्रभु के जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याणक स्थली क्षेत्र सुरम्य गंगातट पर चन्द्रावती गढ़ के भग्नावशेषों के बीच स्थित है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर