शरीर से उत्पन्न होने वाला रोग कहलाता है व्याधि : डा. रामकिशोर

 


कानपुर, 13 जून (हि.स.)। योग की दृष्टि में सम्पूर्ण रोगों को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रथम आधि और द्वितीय का नाम व्याधि है। आधि के अन्तर्गत समस्त मानसिक रोग आते हैं और शरीर से उत्पन्न होने वाले रोग व्याधि कहलाते हैं। जब किसी भी रोग का प्रारंभिक स्तर पर निदान नहीं हो पाता तो आधि से व्याधि और व्याधि से आदि उत्पन्न होकर दोनों एक दूसरे को पोषित करने लगते हैं। यह बातें योगोत्सव पखवाड़े में गुरुवार को सहायक आचार्य डा.रामकिशोर ने कही।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) में योग दिवस के उपलक्ष्य में योगोत्सव पखवाड़े के तहत रोग आधारित योग कार्यशाला का आयोजन एस.जे. एजुकेशन सेंटर हंसपुरम नौबस्ता में हुआ।

सहायक आचार्य डा. रामकिशोर ने मधुमेह रोग के लिए योग पर कहा अब तक हुए रिसर्च के अनुसार मंडूकासन, अर्ध मत्स्येंद्रासन, भुजंगासन और धनुरासन मधुमेह रोग के नियंत्रण में सर्वाधिक उपयोगी पाए गए हैं। परंतु ध्यान रहे भुजंगासन और धनुरासन का अभ्यास हृदय तथा हर्निया के रोगियों को कदापि नहीं करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के नियंत्रण के लिए अनुलोम विलोम, चंद्रभेदी, शीतली, सीत्कारी और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने कहा प्राणायाम के अभ्यास में नासिकाओं को बंद करने के लिए सदैव अंगुष्ठ और अनामिका का प्रयोग करना चाहिए। मध्यमा और तर्जनी उंगली का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।

स्थिर होने लगते हैं रक्तचाप

अनुलोम विलोम प्राणायाम के वैज्ञानिक प्रभाव को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस प्राणायाम से हमारे शरीर का अनुकंपी और परानुकंपी तंत्रिका तंत्र संतुलित होता है,जिसके प्रभाव से उच्च और निम्न दोनों रक्तचाप संतुलित होकर सामान्य अवस्था में स्थिर होने लगते हैं। मेरुदण्ड से जुड़ी समस्याओं के लिए पवनमुक्तासन, सेतुबंधासन, मेरुदंडासान और भुजंगासन का अभ्यास बताया गया।

उन्होंने कहा पवनमुक्तासन करते समय सर्वाइकल के रोगी को सिर जमीन पर ही रखना चाहिए। कार्यशाला में मुख्य रूप से मोटापा,थायराइड असंतुलन, उच्च-निम्न रक्तचाप,अर्थराइटिस,मधुमेह,नेत्र दृष्टि दोष,तनाव,चिंता,अवसाद आदि के प्रबंधन हेतु योगाभ्यास बताए गए।

समग्र फिटनेस में सुधार करता है सूर्य नमस्कार

योगोत्सव पखवाड़े के अन्तर्गत छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में गुरुवार को निःशुल्क योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षिका सोनाली धनवानी ने प्रतिभागियों को सूर्य नमस्कार,पर्वतासन एवं शरीर में फुर्ती लाने के लिए प्रतिभागियों को अभ्यास कराया और बताया कि इन आसनों के नियमित अभ्यास से पूरा शरीर फुर्तीला व स्वस्थ रहता है। सूर्य नमस्कार, सूर्य देवता का सम्मान करने का एक साधन है एवं ऊर्जा और जीवन शक्ति का स्रोत भी है।

शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रभारी डॉ. श्रवण कुमार सिंह यादव ने कहा कि शरीर जितना फुर्तीला रहेगा उतना ही निरोगी रहेगा और निरोगी काया के लिये योग का अभ्यास प्रतिदिन करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश