लोस चुनाव : 21 में से नौ की संसद पहुंचने की हसरत रह गई अधूरी
बांदा, 05 मई (हि.स.)। लोकसभा चुनाव में इस बार कई प्रत्याशियों ने नामांकन करके संसद भवन पहुंचने का दावा कर डाला था। कई प्रत्याशी तो भारी जन समर्थन के बूते चुनाव में जीतने का ख्वाब तक देख रहे थे। लेकिन इन अजब गजब प्रत्याशियों के दावों पर निर्वाचन आयोग ने पानी फेर दिया। कुल 21 प्रत्याशियों में से 9 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र जांच में खारिज हो जाने से इनकी संसद भवन पहुंचने की हसरत अधूरी रह गई है।
बांदा चित्रकूट लोकसभा चुनाव में कुल 21 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। शनिवार को नामांकन पत्रों की जांच की गई, जिसमें 9 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए। जिनके नामांकन पत्र खारिज किए गए उनमें मोहनलाल (विकासशील पार्टी) इनके अलावा प्रकाश चंद, अब्दुल सुब्हान नोमानी,विजय प्रकाश,अरविंद राजकुमार, राम सजीवन, बलबन खान निर्दलीय प्रत्याशी थे जिनके नामांकन पत्र कागजातों में कमी बताकर खारिज कर दिए गए हैं। जबकि भाजपा के आर के सिंह पटेल, सपा की कृष्णा देवी, बसपा के मयंक द्विवेदी और अपना दल कैमेरावादी के प्रमोद कुमार सहित 12 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र वैध पाए गए हैं।
जिन प्रत्याशियों के नामांकन पत्र रद्द किए गए हैं। उनमें विकासशील पार्टी का मोहन लाल धुरिया भी शामिल है जो दिव्यांग है। यह दिव्यांग गुरुवार को नामांकन करने अपनी स्कूटी से पहुंचा। लेकिन भारी पुलिस फोर्स को देखकर वह एक किनारे खड़ा हो गया। जब पुलिस कर्मियों को पता चला कि दिव्यांग नामांकन करने आया है तो पुलिस कर्मियों ने उसे गोद में उठाकर नामांकन स्थल तक पहुंचाया था। लेकिन दो प्रस्तावक कम होने पर उसे अगले दिन फिर बुलाया गया था। दूसरे दिन फिर वह स्कूटी से पहुंचा और नामांकन करने में सफल हो गया था। नामांकन करने के बाद उसने कहा था कि अगर वह लोकसभा चुनाव जीत जाएगा तो इसी स्कूटी से संसद भवन दिल्ली जाएगा और सरकार की कोई गाड़ी और कोई वीआईपी सुविधा नहीं लेगा।
उसका दावा था कि उसे दिव्यांगों के अलावा कई अन्य वर्गों का समर्थन प्राप्त है। वह हर हाल में चुनाव जीत कर संसद भवन जाएगा। लेकिन उनके इरादों पर पानी फिर गया है क्योंकि इनका नामांकन पत्र निरस्त हो गया। यह बबेरू नगर पंचायत अध्यक्ष पद का दो बार चुनाव लड़ चुके हैं।
चित्रकूट जनपद के रहने वाले विजय प्रकाश हलवाई ने भी संसद भवन पहुंचने के इरादे से नामांकन किया था। उनका कहना था कि मेरी इच्छा है कि जनता की आवाज दिल्ली तक पहुंचाऊं। विजय प्रकाश जंगलों से जड़ी बूटियां एकत्र कर मरीजों के देते हैं। जो पैसा मिलता है उसमें गुजारा करते हैं। 2014 में भी उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब उन्हें गुब्बारा चुनाव चिन्ह मिला था। उस समय उन्हें 24,642 मत मिले थे। इसके बाद 2019 में भी लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन किया था। लेकिन कुछ कागजात की कमी बता कर उसका नामांकन रद्द कर दिया गया था। इस बार भी उन्होंने साइकिल से संसद भवन तक पहुंचने के इरादे से नामांकन किया, लेकिन इस बार भी कागजातों में कमी बताकर उनका पर्चा खारिज कर दिया गया। जिससे एक बार फिर वह मायूस हो गए हैं। लेकिन उन्होंने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह फिर अपनी किस्मत आजमायेंगे।
इसी तरह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरने वाले अब्दुल सुब्हान नोमानी का पर्चा खारिज हो गया है। वह बसपा के टिकट पर नगर पालिका परिषद बांदा के अध्यक्ष का चुनाव चुनाव लड़े थे। लेकिन चुनाव में पराजित हो गए थे। इस बार उनका पर्चा खारिज हो गया। चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर वह कहते हैं कि मैंने सिर्फ चर्चा में रहने के लिए नामांकन कराया था। वही बलबन खान भी शौकिया नामांकन कर चर्चा में बने रहना चाहते थे। लेकिन उनके इरादे भी सफल नहीं हुए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/अनिल/राजेश