काशी तमिल संगमम द्वितीय संस्करण में कलाकारों के स्वर ताल से तरंगित हुआ माहौल
-तमिलनाडु के पारंपरिक लोक नृत्य नयन्दी मेलम की शानदार प्रस्तुति
वाराणसी, 20 दिसम्बर (हि.स.)। काशी तमिल संगमम-2 के चौथे दिन बुधवार शाम सांस्कृतिक संध्या में बुधवार को तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने आकर्षक प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त बैनर तले नमोघाट पर आयोजित कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति रही धरमपूरी तमिलनाडु के कलाकार के कुमारवेल के मार्गदर्शन में सहयोगी कलाकारों ने पारंपरिक लोक वाद्य पम्बई वृन्द वादन की, जिसने सभी को झूमने को प्रेरित किया।
द्वितीय प्रस्तुति रही पी. मरुंगन के निर्देशन में तमिलनाडु के पारंपरिक लोक नृत्य नयन्दी मेलम की, जिसमें लयबद्ध होकर कभी वृत्ताकार कभी एक रेखा में सुरीली धुनों के साथ अवनद्य वाद्यों के साथ लोक संगीत ने लोगों को बांधे रखा। घाट के मुक्ताकाशी प्रांगण में तृतीय प्रस्तुति रही बीएचयू के मंच कला संकाय के प्रोफेसर डॉ रामशंकर के गायन की। कलाकार के साथ तबला पर संगत अभिनंदन मिश्रा एवं संवादिनी ने दिया। शिव वंदना के बोल रहे हर हर महादेव, दादरा लागी बयरिया मैं सोया रही भी लोगों को खूब भाया। चतुर्थ प्रस्तुति रही तंजावुर की अबिरामी राजेश कानन एवं उनके सहयोगियों द्वारा भरतनाट्यम नृत्य की। जिसमें श्रृंगार एवं समर्पण दोनों भावों की रसपूर्ण अभिव्यक्ति रही। पांचवी प्रस्तुति रही वाराणसी के युवा कथक नर्तक बंधुओं गौरव तथा सौरव मिश्रा का। आकर्षक कथक नृत्य में रेला आमद एवं घुँघरुओ की झनक के माध्यम से दोनो कलाकारों ने लयात्मक कौशल दिखाया। छठी प्रस्तुति रही त्रिचिरापल्ली के एस सत्यम एवं उनके सहयोगियों द्वारा थप्पाट्टम लोक वाद्य वादन की। सातवीं प्रस्तुति रही ए बाला मुरगन के मार्गदर्शन में पेरियामेलम लोक कला के प्रदर्शन की जिसने सभी को आनंदित किया। आंठवी प्रस्तुति रही वी नीथिया विजयकुमार के मार्गदर्शन में तमिलनाडु की विशिष्ट पारम्परिक लोक कला के रूप में करागम लोक नृत्य का। कार्यक्रम का संयोजन निदेशक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज प्रो. सुरेश शर्मा ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश