मुकुट पूजन कर नारद मोह से शुरू हुई विन्ध्यधाम की प्राचीन रामलीला
मीरजापुर, 01 नवम्बर (हि.स.)। श्रीविंध्य प्राचीन रामलीला समिति के तत्वावधान में मोतीझील मार्ग स्थित भंडारा स्थल परिसर में रामलीला का शुभारंभ मंगलवार की रात समिति के अध्यक्ष संगमलाल त्रिपाठी एवं सदस्यों द्वारा मुकुट पूजन किया गया।
विधि-विधान पूर्वक भगवान शंकर एवं माता पार्वती का पूजन-अर्चन व आरती की गई। भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को कथा एवं नारद मोह का मंचन किया गया।
नारद की तपस्या देख भगवान इंद्र को अपना सिंहासन हिलता महसूस होता है। ऐसे में भगवान इंद्र उनकी तपस्या भंग करने के लिए कामदेव को भेजते हैं। लेकिन कामदेव अपने चाल में कामयाब नहीं होते हैं और नारद से पराजित हो जाते हैं। कामदेव को पराजित करने के बाद नारद भगवान शंकर के पास जाते हैं और पूरा वृत्तांत भगवान शंकर के सामने सुनाते हैं। जिसपर भगवान शंकर उनसे कहते हैं कि हे नारद जो प्रसंग आपने ने मुझे सुनाया वह विष्णु को मत बताना। जिसके बाद नारद अपने वाक्य नारायण-नारायण करते हुए भगवान विष्णु के पास जाते हैं और पूरा प्रसंग उन्हें सुना देते हैं।
भगवान विष्णु एक सुंदर महल बनाकर विश्वमोहिनी को उसमें रहने के लिए भेज देते हैं। उधर से गुजरते वक्त नारद विश्वमोहिनी की हस्तरेखा देखते हैं, जिसमें लिखा रहता है कि उससे शादी करने वाला अमर हो जाएगा। तब नारद सोचते हैं कि क्यों न वे खुद उससे शादी कर लें। उनकी मंशा भांप भगवान विष्णु उनका पूरा शरीर तो सुंदर बना देते हैं और मुंह बंदर का। हर्ष से पुलकित नारद विश्वमोहिनी के सामने पहुंचते हैं। वे विश्वमोहिनी के आगे पीछे घूमने लगते हैं। जब विश्वमोहिनी की नजर पड़ती है तो वह उनके मुख के बनावट को देख ठहाका लगाकर हंसने लगती है। अपने साथ छल की बात सोच नारद जब पानी में झांककर अपना मुख देखते हैं तो उन्हें गुस्सा आता है और विष्णु को शाप दे देते हैं। कहते हैं कि हे भगवान अगर मुझे बानर मुख दिया है। जब आप अपनी पत्नी के वियोग में भटकोगे तो यही बानर आपका सहयोग करेंगे। व्यास की भूमिका में गोपीनाथ मिश्र, मंच संचालन आदर्श उपाध्याय ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/राजेश