इंटरडिसिप्लिनरी एवं मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च विषय पर आयोजित शॉर्ट टर्म कोर्स का शुभारम्भ

 

गोरखपुर, 16 अक्टूबर (हि.स.)। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर द्वारा इंटर डिसिप्लिनरी एवं मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च विषय पर आयोजित शॉर्ट टर्म कोर्स का शुभारम्भ बुधवार काे ऑनलाइन माध्यम में हुआ। केंद्र की निदेशक प्रोफ़ेसर सुनीता मुर्मू ने मुख्य अतिथि, जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफ़ेसर सौगत भादुड़ी का स्वागत किया।

उद्घाटन सत्र के व्याख्यान में प्रोफ़ेसर, सौगत भादुड़ी ने मल्टी-डिसिप्लिनरी एवं इण्टर-डिसिप्लिनरी स्ट्डीज़ की सीमाओं को रेखांकित करते हुए ट्रांस-डिसिप्लिनरी स्ट्डीज़ की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। इन विमर्शों को केंद्र में रखते हुए उन्होंने पाश्चात्य परम्परा में विभिन्न कालखंडों में विद्वानों की दृष्टि को क्रमवार रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक अरस्तू के विविध विषयों जैसे, नेचुरल साइंस, ह्यूमैनिटीज़ एवं सोशल साइंसेज़ पर लेखन इस समय में ज्ञान को समेकित दृष्टि से देखने हेतु प्रेरित करता था। इस कालखंड में विविध अनुशासनों (विषयों) में कोई प्रतिस्पर्धा अथवा वर्गीकरण व श्रेणीकरण न था अपितु इस श्रेणीकरण का प्रवेश आधुनिकतावाद के साथ हुआ। यह विभाजन प्राय: 18वीं सदी के उत्तरार्ध अथवा 19वीं सदी के पूर्वार्ध में देखा गया जब कुछ विषयों जैसे लॉ, थियो‍लजी, एवं मेडिसिन के अध्ययन में व्यवसाय अथवा रोज़गार की संभावनाओं पर बल दिया जाने लगा। मैक्स वेबर, इमैनुएल कांट, फ्रेडरिक नीत्शे, फ्रैंकफर्ट स्कूल के चिंतकों, गणितज्ञ एलन सोकल, सैद्धांतिक भौतिकविज्ञानी ज्यां ब्रिकमोंट, फ्रेंच दार्शनिक पॉल रिकॉर इत्यादि ने इस विमर्श को आगे बढ़ाते हुए इन अनुशासनों के मध्य निरंतर बढ़ते श्रेणीकरण पर चिंता व्यक्त की।

उन्हाेंने कहा कि इस श्रेणीकरण के परिणामस्वरूप कुछ प्रमुख विषय जो ज्ञान की विशिष्ट परम्परा के वाहक थे क्रमशः समाज और संस्थानों में हाशिए पर धकेल दिए गए। उत्तर-आधुनिक विचारक युर्गेन हेबरमास ने इन अंतर्द्वंदों के समाधान हेतु विभिन्न अनुशासनों के संयोजन से उपजे अध्ययन पर ज़ोर दिया। प्रोफ़ेसर भादुड़ी ने कहा कि व्यापक परिवर्तन के इस समय में वही शोध अध्ययन तर्कसंगत होगा जो हमारी पूर्व-निर्मित अवधारणाओं, स्थापित मूल्यों को अत्यंत आलोचनात्मक दृष्टि से चुनौती दे एवं परिमार्जित करे। शोध एवं शिक्षण संस्थानों में ट्रांस-डिसिप्लिनरी अध्ययन को निरंतर विकसित करना इस प्रकार नवीन शिक्षा नीति-2020 के लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर एक सार्थक प्रयत्न होगा। इस व्याख्यान में देश भर के विभिन्न प्रदेशों से कुल 80 प्रतिभागी सम्मिलित हुए।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय